सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के संवर्धन, वित्त पोषण और विकास में लगे प्रमुख वित्तीय संस्थान, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने महाराष्ट्र सरकार को सिडबी क्लस्टर डेवलपमेंट फंड के अंतर्गत पहली मंजूरी प्रदान की है।
कौशल, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार विभाग के अंतर्गत व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण निदेशालय द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न आईटीआई/पॉलीटेक्निक संस्थानों को पुनर्जीवित/उन्नत करने के लिए सिडबी द्वारा महाराष्ट्र सरकार को 600 करोड़ रुपये के सैद्धांतिक अनुमोदन का पत्र जारी किया गया है। ये आईटीआई/पॉलीटेक्निक संस्थान, हैंड्स-ऑन कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से उचित रूप से प्रशिक्षित कुशल जनशक्ति उपलब्ध कराने के माध्यम से राज्य में एमएसएमई समूहों के पूरक हैं, जो कि एमएसएमई की मांग है। ये आईटीआई संस्थान आमतौर पर उद्योग समूहों के पास स्थित होते हैं ताकि आईटीआई में अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, नव-प्रशिक्षु विभिन्न उद्योग समूहों में शिक्षुता प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटीज और स्वच्छ भारत मिशन नामक सरकार की नई शुरू की गई योजनाओं के कारण महाराष्ट्र में कुशल जनशक्ति की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है। आईटीआई नई ज़िम्मेदारी वहन करने के लिए तैयार हो रहे हैं और इन नई योजनाओं के माध्यम से कुशल जनशक्ति के लिए उत्पन्न एमएसएमई की मांग को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिव सुब्रमणियन रमण, आईएएंडएएस ने कहा, “एमएसएमई विकास की यात्रा में राज्य सरकार द्वारा संचालित संस्थानों की संस्थानों के उन्नयन और पुनरुद्धार के माध्यम से सक्रिय भागीदारी, एमएसएमई पारितंत्र में कुशल जनशक्ति की उपलब्धता की बहु-वांछित आवश्यकता को पूरा करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करेगी और प्रणालीगत माध्यम से उच्च दक्षता प्राप्त करने में सुविधा प्रदान करेगा।”
यू.के. सिन्हा की अध्यक्षता में एमएसएमई पर गठित विशेषज्ञ समिति ने क्लस्टरों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए राज्य सरकारों के लिए कम लागत वाली उधार खिड़की बनाने के लिए प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण प्रवाह में न्यूनता (पीएसएस) संबंधी निधियों के उपयोग सहित एमएसएमई के विकास और संवर्धन के लिए राज्य सरकारों के साथ सिडबी की अधिक केंद्रित भागीदारी की सिफारिश की है।
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