चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है, लेकिन सच्चाई यह है कि अभी भी इस पर शंका कायम है। कांग्रेस हाई कमान से कई बार बैठक होने के बावजूद उनके कांग्रेस में शामिल होने को लेकर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिल पाया है। सवाल यह भी पूछे जा रहे हैं कि क्या वाकई पीके कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं?
इससे पहले भी कई बार उनके कांग्रेस में शामिल होने की खबरें सुर्खियों में रही हैं। लेकिन इस बार कांग्रेस की मजबूरी बढ़ गई है और भविष्य में और बढ़ने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए पीके पर दांव लगाने के लिए वह कई तरह के समझौते कर सकती है। लेकिन उसके लिए ये सब इतना आसान भी नहीं है।
पीके की शर्तें कांग्रेस को मंजूर नहीं
पीके जिस तरह काम करने की आजादी चाहते हैं, वैसी आजादी कांग्रेंस देने को तैयार नहीं है। इसके कई कारण हैं। पार्टी के कई नेताओं को पीके के हाथ में कमान जाने के बाद उन्हें खुद को दरकिनार किए जाने की आशंका है। इसलिए वे पीके की पार्टी नें एंट्री का विरोध कर रहे हैं। वे उन्हें पार्टी की परंपरा से अलग तरह का व्यक्ति बता रहे हैं। इसके साथ ही पीके की शर्तों पर काम करना कांग्रेस को मंजूर नहीं है। इसलिए पीके एक बार फिर कांग्रेस की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
कांग्रेस की प्रतिस्पर्धी पार्टी से मिलाया हाथ
इस तथ्य के पीछे ठोस कारण है। पीके की कंपनी आई-पीएसी ने 2023 में होने वाले तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रतिस्पर्धी पार्टी टीआरएस से हाथ मिला लिया है। कहने का अर्थ यह है कि पीके की कंपनी तेलंगाना में टीआरएस का चुनावी रणनीति बनाएगी।
पीके की चुप्पी से असमंजस
इस बीच पीके और कांग्रेस हाई कमान के बीच बैठकों का दौर जारी है। पिछले 15 दिनों में इनके बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। जब-जब इनकी बैठक होती है तब-तब यह खबर सुर्खियों में रहती है कि पीके कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं। कई समाचार पत्र तो यहां तक बता चुके हैं कि पीके कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। हालांकि पीके इस बारे में कुछ भी कहने से बच रहे हैं। इस कारण असमंजस बरकरार है।