मौसम की मार से हर कोई बेहाल, ऐसे करें पशुओं की देखभाल

मनुष्य से लेकर पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सब तबाह हैं। अस्पतालाों में गर्मी से पीड़ित मरीजों की भीड़ बढ़ने लगी है।

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मौसम का मिजाज लगातार बदलने के कारण आसमान से आग बरस रही है। ऐसे में मनुष्य से लेकर पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सब तबाह हैं, गर्मी से पीड़ित अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ने लगी है तो मवेशी भी बेहाल और परेशान होकर बीमार होने लगे हैं। ऐसे में पशु एवं मत्स्य पालन विभाग, पशुपालक कल्याण के लिए पशुपालन ज्ञान जारी कर सोशल मीडिया के माध्यम से भी पशुपालकों को जागरूक कर रहा है।

पशुओं में गर्मी और लू के लक्षण एवं उपचार-
पशु चिकित्सक एवं कामधेनु कैटल डेवलपमेंट के डॉ. अजीत कुमार ने बताया कि गर्मी के मौसम में जब बाहरी वातावरण का तापमान अधिक हो जाता है तो वैसी स्थिति में पशु को उच्च तापमान पर ज्यादा देर तक रखने से या गर्म हवा के संपर्क में आने पर लू लगने का डर अधिक होता है, जिसे हिट स्ट्रोक अथवा सन स्ट्रोक कहते हैं। पशुओं में तीव्र ज्वर की स्थिति, मुंह खोलकर जोर-जोर से सांस लेना अर्थात हांफना एवं मुंह से लार गिरना, क्रियाशीलता कम हो जाना एवं बेचैनी की स्थिति, भूख में कमी एवं पानी अधिक पीना एवं पेशाब कम होना अथवा बंद हो जाना, धड़कन तेज होना तथा कभी-कभी अफरा की शिकायत आदि लू लगने का लक्षण है।

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पशुओं को ऐसे बचाएं
धूप एवं लू से बचाने के लिए पशुओं को हवादार पशुगृह अथवा छायादार वृक्ष के नीचे रखें, जहां सूर्य की सीधी किरणें पशुओं पर नहीं पड़े। पशुगृह को ठंढ़ा रखने के लिए दीवारों के उपर जूट की टाट लटका कर उसपर थोड़ी-थोड़ी देर पर पानी का छिड़काव करना चाहिए, ताकि बाहर से आने वाली हवा में ठंढक बनी रहे। अधिक गर्मी की हालत में पंखा एवं कूलर का अधिक से अधिक उपयोग करें। पशुओं में पानी एवं लवण की कमी तथा भोजन में अरूची हो जाती है, इसे ध्यान में रखकर दिन में कम से कम चार बार साफ, स्वच्छ एवं ठंढा जल उपलब्ध कराना चाहिए। इसके साथ ही संतुलित आहार के साथ-साथ उचित मात्रा में खनिज मिश्रण देना चाहिए। पशुओं खासकर भैंस को दिन में दो-तीन बार नहलाना चाहिए। आहार में संतुलन के लिए एजोला घास का उपयोग किया जा सकता है, इसके साथ ही आहार में गेहूं का चोकर एवं जौ की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। पशुओं को चराने के लिए सुबह जल्दी एवं शाम में देर से भेजना चाहिए।

पशुओं को लू लग जाने पर क्या करें-
लू लग जाने पर पशुओं के शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए ठंडे स्थान पर रखना चाहिए। पशु को पानी से भरे गढ्ढे में रखना चाहिए अथवा पूरे शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करना चाहिए। संभव हो तो बर्फ या अल्कोहल पशुओं के शरीर पर रगड़ना चाहिए। ठंडे पानी में तैयार किया हुआ चीनी, भुने हुए जौ का आटा एवं नमक का घोल बराबर पिलाते रहना चाहिए। पशुओं को पुदीना एवं प्याज का अर्क बनाकर देना चाहिए। शरीर के तापमान को कम करने वाली औषधी का प्रयोग करना चाहिए। शरीर में पानी एवं लवणों की कमी को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रोलाइट थेरेपी करना चाहिए। विषम परिस्थिति में तुरंत नजदीकी मवेशी डॉक्टर या अस्पताल से संपर्क करें।

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