करौली और जोधपुर दंगे की सीबीआई करेगी जांच? केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री से की ये मांग

जोधपुर में 8 मई को केंद्रीय मंत्री मीडिया से रू-ब-रू हुए। अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि जोधपुर की प्रवृत्ति भाईचारे, शांति, सौहार्द और आपसी मेल की भावना की है।

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केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस बयान पर पलटवार किया, जिसमें उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अलग-अलग राज्यों में हुए दंगों की जांच करवाने के लिए कहा था। शेखावत ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि आप एक कदम आगे बढ़ाइए। करौली और जोधपुर में जो घटनाएं हुई हैं, इनकी जांच सीबीआई को दे दीजिए। सत्य सामने आ जाएगा।

जोधपुर में 8 मई को केंद्रीय मंत्री मीडिया से रू-ब-रू हुए। अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि जोधपुर की प्रवृत्ति भाईचारे, शांति, सौहार्द और आपसी मेल की भावना की है। उसके विपरीत जोधपुर में ईद और अक्षय तृतीया की पूर्व संध्या पर जिस तरह की स्थिति बनी, जो कुछ नहीं होना चाहिए था, वह हुआ। हमने लगातार प्रयास किया कि यह बात कम से कम तूल पकड़े, लेकिन ऐसे कौन लोग थे या ऐसी कौन सी मानसिकता थी, जिसके चलते इस तरह की परिस्थिति जोधपुर में बनी।

मुख्यमंत्री पर साधा निशाना
शेखावत ने कहा कि करौली में जिस तरह के दंगे हुए। जांच एजेंसी ने पीएफआई और दूसरे संगठनों के साथ कुछ सूत्र जुड़ते हुए पाए हैं। इस तरह का जहर हमारे अपने शहर में कहीं ना फैला हो, इसकी पूरी गंभीरता के साथ जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग दोषी थे, जिन्होंने उपद्रव किया। मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि दंगा नहीं था। हालांकि, मुख्यमंत्री जी ने भी कहा कि यह दंगा नहीं था, लेकिन उनकी दंगे की परिभाषा अलग है कि 5-10 लोग मरते हैं, तब दंगा होता है। मेरा तो विषय इतना था कि दंगा तब होता है, जब दो पक्ष आमने-सामने लड़ रहे हैं। यहां दो पक्ष नहीं थे, जितनी भी घटनाएं हुईं, कमोवेश सभी घटनाओं में एक ही पक्ष है।

छोटी-सी बात को तूल देने का आरोप
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि जोधपुर जैसे शहर में मुझे लगता है कि इससे ज्यादा सौहार्द का कोई उदाहरण नहीं हो सकता कि ब्राह्मण समाज में यह जानते हुए कि ईद और परशुराम जयंती एक दिन में आ रही है, उन्होंने अपने कार्यक्रम को दो दिन पहले किया। खुद ने आगे बढ़कर सारे झंडे हटाए। उसके बाद भी छोटे से विषय को लेकर तूल दिया गया।

एफआईआर पर सवाल
उपद्रव को लेकर दर्ज एफआईआर पर शेखावत ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से कोई एफआईआर दर्ज कराता है तो वह उसका अधिकार है, वह कुछ भी लिख सकता है, लेकिन अगर प्रशासन एफआईआर दर्ज कराए और वो सत्य से परे हो तो संदेह अपने आप से प्रमाणित हो जाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह की एफआईआर दर्ज हुई हैं, चाहे वह कबूतरों का चौक या सुनारों का बांस की एफआईआर हो, चाहे जालोरी गेट की मुख्य घटना की एफआईआर हो, इन एफआईआर और हकीकत को एकबार आमने-सामने रखकर देखें।

वीडियो से हो रहा है सचाई का खुलासा
उन्होंने कहा कि घटना के वीडियो मीडिया के पास में हैं। सब चैनल्स में चलाए गए हैं। मीडियाकर्मियों, पब्लिक और सरकारी कैमरों द्वारा रिकॉर्ड हुए हैं। उन वीडियोज में जो दिख रहा है और जो पुलिस के एसएचओ ने एफआईआर दर्ज कराते हुए लिखा है, अगर उसमें 19-20 का फर्क होता है तो शायद समझ में आ सकता है। मैं स्वीकार कर सकता हूं कि उसमें कुछ कहीं चूक हुई होगी, लेकिन जो नहीं है, उसको दिखाना, उसको लिखाना और जो हुआ है, उसको छुपाना, यह इस बात का परिचायक है कि प्रशासन किसी ना किसी अदृश्य दबाव में काम कर रहा है। उस अदृश्य दबाव को खोजने की जिम्मेदारी मीडिया की है।

एकतरफा कार्रवाई बर्दाश्त नहीं
शेखावत ने कहा कि तुष्टीकरण के आधार पर प्रशासन और सरकार दबाव बनाकर एकतरफा कार्रवाई या निर्दोषों को फंसाने की कोशिश करेगी तो जोधपुर की जनता इसको स्वीकार तथा बर्दाश्त नहीं करेगी। हम लोग सड़क पर आकर संघर्ष करेंगे। प्रशासन पर दबाव बनाकर, अन्याय किसी के साथ ना हो, अपराधी एक भी ना बचे, इसको सुनिश्चित करेंगे।

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