समाप्त हो जाएगा अंग्रेजों द्वारा निर्मित राजद्रोह कानून? केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दिया शपथ पत्र

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महाराष्ट्र में राजनीतिक दांवपेचों में राजद्रोह कानून का उपयोग विपक्ष के नेताओं पर धड़ल्ले से हो रहा है। राणा दंपति के बाद मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे पर इस कानून के अंतर्गत प्रकरण पंजीकृत करने की मांग न्यायालय में पहुंची है। इस सबके बीच सर्वोच्च न्यायालय में इस कानून की न्यायपरकता से संबंधित याचिका में केद्र सरकार ने महत्वूर्ण जानकारी दी है। जिसमें इस कानून की उपयोगिता और आवश्यकता पर पुनर्विचार करने का हलफनामा दायर किया गया है।

देश में राजद्रोह कानून के अंतर्गत पंजीकृत किये जानेवाले प्रकरणों को लेकर लंबे काल से विरोध होता रहा है। इस कानून का उपयोग कई बार राजनीतिक बदले के लिए भी होता रहा है। ऐसी स्थिति में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इस कानून की वैधानिक मान्यता को चुनौती दी गई है। सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एस.जी वोंबटकेरे ने दायर की है। जिसमें भारतीय दंड विधान के सेक्शन 124 (ए) यानी राजद्रोह (सेडिशन) कानून की वैधानिकता को चुनौती दी है। इस प्रकरण में केंद्र सरकारी भी पक्ष है, सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। जिसमें इस कानून के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने का वचन दिया गया है।

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महाराष्ट्र में राजद्रोह कानून का राड़ा पड़ा भारी
महाराष्ट्र में विधायक रवि राणा और सांसद नवनीत राणा पर पुलिस ने राजद्रोह के अंतर्गत प्रकरण पंजीकृत किया था। उन्हें इस प्रकरण में गिरफ्तार भी किया गया था। जब यह प्रकरण न्यायालय में पहुंचा तो, न्यायालय ने 124(ए) यानी राजद्रोह कानून के अंतर्गत कार्रवाई को अनुचित बताया।

राणा दंपति ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पैतृक निवास मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पाठ करने की घोषणा की थी। इसके लिए दोनों ही नेता मुंबई के अपने निवास पर पहुंच गए। मुंबई पुलिस ने राणा दंपति को ऐसा करने से रोकने के लिए प्रतिबंधक कार्रवाई करते हुए उन्हें भारतीय दंड विधान की धारा 149 के अंतर्गत नोटिस थमा दी, जिसके कारण दोनों ही नेताओं को घर में रहना पड़ा। सुरक्षा कारणों से बाद में दोनों ने अपना आंदोलन वापस लेने की घोषणा भी कर दी, लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार करके उन पर राजद्रोह के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कर दिया था।

हनुमान चालीसा पाठ पर राजद्रोह
राज ठाकरे के विरुद्ध याचिका बॉम्बे उच्च न्यायालय में दायर की गई है। इसमें याचिकाकर्ता हेमंत पाटील ने राज ठाकरे पर मस्जिदों की बांग के विरोध में हनुमान चालीसा पाठ करने की घोषणा पर राजद्रोह कानून के अंतर्गत कार्रवाई की मांग की है।

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