जानिये, राज ठाकरे के अयोध्या दौरे का विरोध करने वाले भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह हैं कौन?

भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की इन दिनों सर्वत्र चर्चा है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे के अयोध्या दौरे का विरोध कर वे एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि उनकी इस घोषणा और जिद का अंजाम क्या होगा।

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भारतीय जनता पार्टी के बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है। विरोध, चेतावनी, धमकी और इससे भी आगे बढ़कर अपनी जिद पूरी करना उनकी पुरानी कहानी रही है। वर्तमान में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के अयोध्या दौरे का विरोध किया है। उन्होंने अपनी इस घोषणा से उत्तर प्रदेश के साथ ही दिल्ली और महाराष्ट्र में सियासी तापमान बढ़ा दिया है। भाजपा सांसद की इस घोषणा के कारण यूपी की योगी सरकार के साथ ही मनसे की भी चिंता बढ़ा दी है। यह जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है, वहीं राज ठाकरे में अपनी घोषणा को लेकर चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। हालांकि उनके सामने अतीत में उत्तर भारतीयों के साथ किए दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगने का विकल्प मौजूद है।

आइए जानते हैं, आखिर राज ठाकरे को इस तरह की चुनौती देने वाले भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह हैं कौन?

इस तरह बने छात्र नेता
-बचपन में चार भाइयो की मौत ने बृजभूषण को हिला कर रख दिया। उन दिनों स्कूल जाते समय उन पर कई बार हमले हुए। डर कर घरवालों ने उनको मामा के घर भेज दिया। वे वहीं पढ़ाई करने लगे। इसी दौरान पारिवारिक दुश्मनी में उनका पुश्तैनी घर ढहा दिया गया।

-बृजभूषण स्कूल की पढ़ाई पूरी कर अपने गांव विश्नौरपुर, गोंडा लौट आए। इसके बाद वे कॉलेज में पढ़ाई करने जाने लगे। एक दिन कुछ मनचलों के लड़की को छेड़ते देखकर उनका खून खौल उठा और वे अकेले ही उनसे भिड़ गए। इस घटना ने उनको कॉलेज का छात्र नेता बना दिया। मजबूत कदकाठी के बृजभूषण देखते ही देखते युवाओं के नेता बन गए। उन्होंने 1979 में रिकॉर्ड मतों से छात्रसंघ का चुनाव जीता। इसके बाद वे छात्रनेता के साथ ही बाहुबली नेता के रूप में भी स्थापित होने लगे।

इस तरह चढ़े राजनीति की सीढ़ियां
1980 के आसपास पूर्वांचल में उनकी तूती बोलती थी। दंगल, दौड़, घुड़सवारी में गांव के लोग उनके नाम पर जीत की शर्त लगाते थे। वे 1987 में वे गन्ना समिति के चेयरमैन चुने गए। 1988 में वे भारतीय जनता पार्टी कें संपर्क में आए। हालांकि वे एमएलसी चुनाव हार गए लेकिन उनका मनोबल कमजोर नहीं हुआ।

-इन्हीं दिनों रामजन्मभूमि आंदोलन ने जोर पकड़ लिया और वे गोंडा के साथ ही अयोध्या के साधु-संतों के भी करीब आ गए। मंदिर आंदोलन में सक्रिय होने के बाद उन्हें लालकृष्ण आडवाणी की छत्रछाया मिली। उनकी रामरथ यात्रा में उन्होंने काफी महत्वूर्ण भूमिका निभाई। आडवाणी की गिरफ्तारी के साथ उन्हें भी गिरप्तार किया गया और वे एक महीना फैजाबाद जेल में बंद रहे।

इस तरह आए लालकृष्ण आडवाणी के करीब
1993 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी सहित जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, उनमें बृजभूषण भी शामिल थे। सीबीआई ने सबसे पहले उन्हें ही गिरफ्तार किया था। राजनैतिक षड्यंत्र में उन्हें 1996 में टाडा के तहत तिहाड़ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।

प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने लिखी थी चिट्ठी
30 मई, 1996 में तिहाड़ जेल में बंद इस दबंग नेता के पास प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की चिट्ठी पहुंची थी। चिट्ठी में उनका मनोबल बढ़ाते हुए लिखा गया था, “प्रिय बृजभूषण जी, सप्रेम नमस्कार, आपका समाचार मिला। नए सिरे से जमानत की कोशिश करनी होगी। आप हिम्मत रखें। अच्छे दिन नहीं रहते तो बुरे दिन भी निश्चित रूप से गुजर जाएंगे।”
उत्तर प्रदेश की उस लोकसभा सीट, जो कभी अटल बिहारी वाजपेयी की पहली राजनीतिक कर्मभूमि रही, पर उनके बाद जीत की गारंटी देने वाले नेता का नाम बृजभूषण शरण सिंह है। ये उस ताकत और रौब के दम पर संभव होता है, जिसे बाहुबली कहा जाता है। 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी बलरामपुर से पहली बार सांसद चुने गए थे।

जेजे शूटआउट में क्लीन चिट
1992 में मुंबई के जेजे अस्पताल शूटआउट में पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ और बृजभूषण को आरोपी बनाया गया था।
मुंबई के जेजे अस्पताल में अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली के एक शूटर को मौत के घाट उतार दिया गया था। मारा गया व्यक्ति दाऊद के जीजा का हत्यारा था। अपने जीजा की मौत का बदला लेने के लिए दाऊद ने डॉन सुभाष ठाकुर और ब्रजेश सिंह को भेजा था। कल्पनाथ राय और बृजभूषण पर आरोप था कि उन्होंने दाऊद के शूटर्स की मदद की थी। बाद में इस मामले में उन्हें क्लीन चिट मिल गई।

जब पहलवान को जड़ दिया था थप्पड़..
1991 में पहली बार सांसद बनने के बाद बृजभूषण शरण सिंह 1999 तक लगातार चुनाव जीतते रहे। उनकी पहचान एक नेता के साथ ही बाहुबली के रूप में भी है। राजनीति के दंगल में अपने विरोधियों को धूल चटाने के साथ ही वे पहलवानी में भी काफी नाम कमा चुके हैं। एक बार उन्होंने एक प्रतिस्पर्धी पहलवान को थप्पड़ मार दिया था। उसके बाद कुछ मिनटों के लिए वह बेहोश हो गया था। वे भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे हैं।

शिक्षित समाज, उनका सपना
गोंडा, बलरामपुर और आसपास के जिलों में बृजभूषण शरण सिंह के दर्जनों कॉलेज और शिक्षण संस्थान हैं। उनका कहना है कि शिक्षित समाज उनका सपना है। उनके काफिले में एक से एक महंगी गाड़ियां शामिल होती हैं। ये उनके बाहुबली होने की पहचान है।

कई मामले दर्ज
उनके खिलाफ आईपीसी की चार गंभीर और सात कम गंभीर धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि सजा किसी भी मामले में नहीं हुई है। 1991 से 2019 के बीच उन्होंने 6 बार लोकसभा चुनाव जीते हैं। राजनीति के साथ ही दबंग छवि उनकी अलग पहचान है, जिसके कारण वे सुर्खियों में रहते हैं। इसके साथ ही उन्हें गायन और साहित्य से बेहद लगाव है।अपनी सभाओं में वे अक्सर गीत और कविताएं सुनाते हैं।

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