रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं को संचार उपकरण अस्त्र प्रदान किये। ये तीनों उपकरण डीआरडीओ द्वारा निर्मित हैं। इनसे सेनाओं की संचार प्रणाली और मारक क्षमता बेहतर होगी।
नई दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने नौ सेना प्रमुथ एडमिरल करमबीर सिंह को मेरीटाइम सिचुएशनल अवेयरनेस सिस्टम (इमसास) प्रदान किया। इसी कार्यक्रम में अस्त्र एमके-आई मिसाइल वायु सेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदैरिया को और बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम (बोस) थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को सौंपा।
बढ़ेगी सेना की क्षमता
रक्षा मंत्री द्वारा तीनों सेनाओं को सौंपे गए संचार उपकरण और अस्त्र से सेना की क्षमता में बढ़ोतरी होगी। एक नजर इन तीनों उपकरणों और उनके कार्यों पर।
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Today, during the DRDO award ceremony Hon'ble RM handed over indigenously developed three DRDO systems to the Armed Forces. @DefenceMinIndia @shripadynaik https://t.co/hmyfhRDMye
— DRDO (@DRDO_India) December 18, 2020
मेरीटाइम सिचुएशनल अवेयरनेस सिस्टम (इमसास) : स्वदेशी तकनीकी से निर्मित यह हाई परफार्मेंस इंटेलिजेंट सॉफ्टवेयर सिस्टम है जो नौसेना को ग्लोबल मैरीटाइम सिचुएशनल पिक्चर, मरीन प्लानिंग टूल्स और अनालिटिकल कैपाबिलिटिज़ उपलब्ध कराएगी। यह सिस्टम नौसेना मुख्यालय से प्रत्येक पोत को कमांड से कंट्रोल करने की क्षमता प्रदान करेगी (सी-2)। इसे सेंटर फॉर आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) और भारतीय नौसेना ने डिजाइन और विकसित किया है।
अस्त्र एमके-आई : यह स्वदेशी तकनीकी से बना बियांड वीजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल है। जो सुखोई-30, लाइट कॉंबेट एयरक्राफ्ट (एलएसी), मिग-29 और मिग 29-के से दागी जा सकती है। विश्व में इस तकनीकी से मिसाइल विकसित करने की क्षमता बहुत ही सीमित देशों के पास है। इसे रक्षा अनुसंधान विकास प्राधिकरण (डीआरडीओ) ने विकसित किया है।
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बीओएसएस : यह हर मौसम में संचालित होनेवाला इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम है। जिसे लद्दाख के सीमा क्षेत्र में तैनात किया जाएगा। इससे रिमोट ऑपरेशन के जरिये सीमा पर शून्य से नीचे के तापमान में निगरानी करना, घुसपैठ की सूचना प्राप्त करना संभव हो पाएगा। इसे इंस्ट्रूमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (आईआरडीई) ने विकसित किया है।
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