महाराष्ट्र सरकार की मुंबई में आकार ले रही महत्वाकांक्षी कोस्टल रोड परियोजना में आधुनिक खंभों का इस्तेमाल किया जाएगा। आधुनिक टेक्नोलॉजी के कारण वर्ली के मछुआरों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।
मनपा ने बीमा देने का किया फैसला
राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्था की रिपोर्ट के बाद मुंबई मनपा की ओर से मिली जानकारी के अनुसार कोस्टल रोड परियोजना के अंतर्गत समुंदर में बनाए जा रहे पुल के दो खंभों के बीच की दूरी 60 मीटर यानी 200 फुट होगी। रिपोर्ट के अनुसार दो खंभों के बीच इतने अंतर से जलचर और पर्यावरण को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं होगा। मछुआरों की नौकाओं को आने जाने में कोई परेशानी न हो इसलिए खंभों पर आधुनिक ”फेंडर” सुरक्षा कवच लगाया जाएगा। इसके अलावा इन खंभों से टकरानेवाली नौकाओं के नुकसान की भरपाई के लिए मनपा ने बीमा देने का फैसला किया है।
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मछुआरों की मांग
कोस्टल रोड परियोजना के मुख्य अधिकारी चक्रधर कंडलकर के अनुसार वर्ली के मछुआरों की मांग थी कि कोस्टल रोड का समंदर में बन रहे पुल के खंभों के बीच दूरी न्यूनतम 60 मीटर हो। मनपा ने राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्था को इस मामले में संशोधन कर रिपोर्ट देने कहा था। संस्था की रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। संस्था ने दो खंभों के बीच की दूरी 60 मीटर या 200 फुट होने को सुरक्षित बताया है। इससे किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी।
लगाए जाएंगे सीसीटीवी कैमरे
कंडलकर के अनुसार खंभों को सुरक्षा को दृष्टि से आधुनिक बनाया जाएगा। तकनीकी से लैस खंभों में फेंडर कवच लगाया जाएगा। इससे मछुआरों को दूर से ही दिख जाएगा। सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, ताकि देर रात भी नजर रखी जा सके। यहां सेंसर होगा जो घटनाओं से अलर्ट करेगा। रंग बिरंगे चमकीली लाइटें लगी होंगी। मछुआरों को बीमा का लाभ भी मिलेगा। यदि इन खंभों से किसी मछुआरे की नाव टकरा गई और नुकसान हुआ तो उसे बीमा का लाभ मिलेगा। बीमे की मियाद 20 वर्ष होगी।
आएगी 12 हजार करोड़ रुपये की लागत
कोस्टल रोड परियोजना का निर्माणकार्य अक्टूबर 2018 से शुरू किया गया। लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली 10.58 किमी लंबी कोस्टल रोड परियोजना का निर्माणकार्य लगभग 56 प्रतिशत पूरा हो चुका है। दिसंबर 2023 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित गया है।