पूर्व क्रिक्रेटर और पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू को एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है। यह प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा था। वर्ष 1988 के इस प्रकरण में दोषी करार दिये जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीतिक राह भी संकट में आ गई है।
1988 के रोड रेज मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 19 मई को सिद्धू को एक साल जेल की सजा सुनाई है। इस मामले में पीड़ित के परिजनों ने अपील दायर कर न्याय की मांग की थी।
यह है मामला
34 साल पहले 1988 में पटियाला में पार्किंग को लेकर विवाद होने के बाद मामला मारपीट तक पहुंच गया था। इस मारपीट में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने सिद्धू पर 50 हजार का दंड लगाया था। इसके खिलाफ पीड़ित पक्ष ने अपील दायर की थी।
इस तरह चली पूरी सुनवाई
-1988 का यह मामला सत्र न्यायालय, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया । पटियाला सत्र न्यायालय ने 22 सितंबर 1999 को सिद्धू और उनके सहयोगी को इस मामले में सबूत के अभाव में बरी कर दिया था।
-इसके बाद पीड़ित परिवार ने फैसले को पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने 2006 में सिद्धू को मामले में दोषी ठहराते हुए तीन साल की कैद की सजा सुनाई। सिद्धू ने इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी।
-सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू को जानबूझकर वृद्ध व्यक्ति को चोट पहुंचाने का दोषी पाया था लेकिन इसे गैर इरादतन हत्या का मामला करार देते हुए उन्हें आरोप से बरी कर दिया था। न्यायालय ने उन पर उस समय मात्र एक हजार का जुर्माना लगाया था।
-इसके बाद पीड़ित परिवार ने फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी। न्यायालय ने 25 मार्च को नवजोत सिंह सिद्धू की सजा बढ़ाने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसी मामले में 19 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए स्पष्ट कर दिया कि सिद्धू को इस मामले में एक साल जेल में बिताना पड़ेगा।
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