इस तिथि को होगी ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की अगली सुनवाई

ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में सुनवाई से पहले न्यायालय पहुंचे वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पत्रकारों से कहा कि शिवलिंग मुस्लिम पक्ष के कब्जे में था। उन्होंने उसके साथ छेड़छाड़ की है।

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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में 26 मई को कड़ी सुरक्षा के बीच वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सुनवाई हुई। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख 30 मई मुकर्रर की।

ज्ञानवापी के अंदर मिले शिवलिंग
अदालत में मस्जिद प्रबंधन कमेटी की ओर से दलील दी गयी है कि वर्ष 1991 के धार्मिक स्थल (विशेष प्रावधान) कानून के परिप्रेक्ष्य में इस वाद पर अदालत में सुनवाई नहीं हो सकती है। सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम 11 के तहत इस संबंध में आवेदन दिया गया था। संबंधित कानून में धार्मिक स्थलों का स्वरूप 15 अगस्त 1947 जैसा बनाये रखने का प्रावधान है। इस पर वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने प्रतिकार कर जोरदार दलीलें दी। इसी बीच हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने जिला न्यायाधीश की कोर्ट को सूचित किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मिले शिवलिंग को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है।

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प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि शिवलिंग का अस्तित्व केवल कथित है और अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। अफवाहों के परिणामस्वरूप सार्वजनिक अशांति होती है। जिसे अस्तित्व साबित होने तक अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हिन्दू पक्ष का यह मुकदमा पूरी तरह से गैर-धारणीय है। इसलिए इसे सिविल प्रक्रिया संहिता के ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत खारिज कर दिया जाना चाहिए।

कोर्ट रूम में 34 लोगों की मौजूदगी
इसके पहले कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में वादी और प्रतिवादी पक्ष के 36 लोगों को प्रवेश की अनुमति थी, लेकिन कोर्ट रूम में 34 लोगों की मौजूदगी रही। वादी पक्ष अदालत को यह बताने में सफल रहा कि मुकदमा सुनने योग्य है तो सुनवाई आगे बढ़ेगी। मुकदमे की सुनवाई के बाद निचली अदालत का जो फैसला होगा उस पर दोनों पक्षों के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खुला है। इस बारे में वादी पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि यह मुकदमा अब तक इतना आगे बढ़ गया है कि पोषणीयता का मामला ही नहीं रह जाता है। मुकदमें को लेकर हमारा दावा पक्का है। इसे हम अदालत में भी साबित करेंगे।

ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में सुनवाई से पहले न्यायालय पहुंचे वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पत्रकारों से कहा कि शिवलिंग मुस्लिम पक्ष के कब्जे में था। उन्होंने उसके साथ छेड़छाड़ की है। इस बाबत उन्होंने जिला जज की अदालत को भी सुनवाई के दौरान सूचित किया। उन्होंने कहा कि एडवोकेट कमिश्नर ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसमें 63 इंच का छेद है जो इन्हीं लोगों ने किया है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हाल ही में ये लोग उसपर लगी छतरी को लेकर जा रहे थे, जिसे सीआरपीएफ ने रोक लिया था, जो इस समय इनके स्टोर रूम में रखा हुआ है और यह वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी में साफ है।

पूर्व महंत ने अन्न त्यागा
दाखिल मुकदमें में सुनवाई के पूर्व ही श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने अन्न का त्याग कर दिया है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा का अधिकार जब तक उन्हें नहीं मिल जाता है, तब तक वह अन्न नहीं ग्रहण करेंगे। कुछ लोग सुनियोजित तरीके से अफवाह उड़ा रहे हैं कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा के अधिकार के लिए उन्होंने जो याचिका दाखिल की थी, वह वापस ले ली है।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर जिला न्यायालय में हो रही सुनवाई
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) की अदालत से जिला अदालत में मुकदमा स्थानांतरित हुआ है। राखी सिंह सहित पांच महिलाओं की याचिका पर सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का दो बार सर्वे कराया था। मस्जिद परिसर में स्थित वजूखाने में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद उस स्थान को सील करने के आदेश के बाद कोई और फैसला आ पाता इसके पहले ही प्रकरण की वैधता को लेकर प्रतिवादी पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। इसके बाद देश की शीर्ष अदालत ने यह मामला जिला जज की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।

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