अयोध्या में राम मंदिर होने के 440 प्रमाण अदालत में पेश कर हिंदुओं के पक्ष में यह प्रकरण पुख्ता बनाने वाले प्रख्यात विद्वान, कवि, रचनाकार, धर्मचक्रवर्ती, श्री चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर पद्म विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज का कहना है कि पहले हमने अयोध्या लिया, अब काशी और मथुरा की बारी है। वे उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष और भाजपा विधायक रहे स्वर्गीय आरएन सिंह के परिवार को आशीर्वाद देने मुंबई पहुंचे थे।
पवई हीरानंदानी स्थित रिचमंड परिसर में उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष संतोष आरएन सिंह के निवास पर पत्रकारों से बातचीत में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि हम वर्णानुक्रम के अनुसार चल रहे हैं। पहले अयोध्या लिया, अब काशी और मथुरा भी लेंगे। वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण पर उन्होंने कहा कि यह भी अयोध्या जैसा ही मामला है। अयोध्या में राम जन्मभूमि होने के न्यायालय में हमने 440 साक्ष्य पेश किए थे, इनमें से 437 स्पष्ट साक्ष्य थे। इन्हीं साक्ष्यों की वजह से इस प्रकरण की दिशा बदल गई। उन्होंने कहा कि जब हम पढ़ते थे, तब कहा जाता था कि काशी ज्ञानव्यापी का जो कुआं है, उसकी एक बूंद पी लेने से व्यक्ति विश्व का सबसे बड़ा विद्धान बन जाता है। हमने भी उसका जल पीया है। वहां 12 फुट 4 इंच का जो शिवलिंग मिला है, वह कोई फव्वारा नहीं है।
हिंदुओं को मिला स्वाभिमान
केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि पहले हिंदुओं का स्वाभिमान मिल रहा है, फिर महंगाई भी नियंत्रण में आ जाएगी। हम सभी रामलला के दर्शन के लिए तरसते थे, हमें रामलला का मंदिर मिल गया। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म कर दी गई। यहां तक कि मुस्लिम महिलाओं को भी सम्मान देते हुए ट्रिपल तलाक की प्रथा को खत्म कर दिया गया। समाज में पनप रही जातीय दूरियों पर उन्होंने कहा कि पहले 30 हजार मंदिरों को तोड़ा गया, राम मंदिर के लिए 1 लाख 75 हजार हिंदुओं का कत्ल किया गया, तब भाईचारा कहां था?
राज ठाकरे को मांगनी होगी माफी
रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे को उत्तर भारतीयों से माफी मांगनी होगी। उन्होंने उत्तर भारतीयों के साथ बेहद गलत व्यवहार किया है। वे पहले अपने पाप को सुधार लें फिर अयोध्या जाकर ईश्वर के दर्शन करें। बता दें कि बढ़ते विरोध के चलते राज ठाकरे ने 5 जून को अपना प्रस्तावित अयोध्या दौरा रद्द कर दिया है।
आरएन सिंह से विशेष लगाव
जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि आरएन सिंह से उनका विशेष लगाव था, इसी वजह से वे मुंबई आए हैं। जगद्गुरु ने कहा कि वर्ष 1974 में उनकी आरएन सिंह से पहली बार मुलाकात हुई थी। वे अपनी पत्नी रामसखी जी के साथ मुझसे मिलने आए थे, तब मैंने उनसे कहा था कि उनकी विपन्नता जल्द दूर होगी और वे बड़े आदमी बनेंगे। मैं यहां उन्हें श्रद्धांजलि देने आया हूं। मेरा मन भर गया है। आरएन सिंह की परंपरा को उनके बेटे संतोष आरएन सिंह, बहू नीतू संतोष सिंह और अमरजीत सिंह संभालकर आगे बढ़ाएंगे। संतोष आरएन सिंह को मैंने बहुत बड़ा आशीर्वाद दिया है, जिसका परिणाम बहुत जल्द आएगा। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में भव्य भागवत कथा के लिए वे समय दे रहे हैं। वहां बड़ा आयोजन होगा और सुंदर भागवत कथा होगी। उन्होंने सभी उत्तर भारतीयों को आशीर्वाद देकर उनकी मंगल कामना की।
गुरुजी के आभारी हैं: संतोष आरएन सिंह
संतोष आरएन सिंह ने कहा कि मेरे पिता स्वर्गीय आरएन सिंह और गुरुजी के बहुत अच्छे संबंध थे। उनका आग्रह घर आकर आशीर्वाद देने का था। वे पिताजी की फोटो को छूकर भावुक हो गए। हम गुरुजी के आभारी हैं। जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद लेने वालों में भाजपा विधायक राजहंस सिंह, मुंबई भाजपा उपाध्यक्ष अमरजीत सिंह, भाजपा नेता आरयू सिंह, आरडी यादव, उदय प्रताप सिंह, देवेंद्र तिवारी, रमेश सिंह, अजय सिंह, नितेश राजहंस सिंह, उत्तर भारतीय मोर्चा के युवा अध्यक्ष संजय सिंह, एडवोकेट आरपी पांडे, ज्ञानप्रकाश सिंह, ओमप्रकाश सिंह, एडवोकेट दिनेश मिश्रा, अनिल गलगली, श्रीनिवास तिवारी, प्रकाश मौर्य, चंद्रेश दुबे, शिवशंकर सिंह व अन्य गणमान्य मौजूद थे।