राजस्थान में मंत्री और सचिव के बीच युद्ध मच गया है। जिसमें मंत्री ने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। इस विषय को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बहुत हलके में लिया है। उन्होंनें खेल मंत्री अशोक चांदना के इस्तीफे की पेशकश को गंभीरता से न लेने को कहा है।
दबाव में दिया होगा बयान
गहलोत शुक्रवार को पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि पर रामनिवास बाग में श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। ब्यूरोक्रेसी के दखल से नाराज होकर खेल मंत्री अशोक चांदना की देर रात इस्तीफे की पेशकश पर गहलोत ने कहा कि चांदना ने जो पिछली बार स्टेट लेवल का बहुत बड़ा प्रोग्राम किया था। वो स्टेट स्पोर्ट्स का शानदार प्रोग्राम था। उसी प्रकार से अब ग्रामीण ओलंपिक का बहुत बड़ा प्रोग्राम होने जा रहा है। हिन्दुस्तान में पहली बार करीब 30 लाख से ज्यादा लोग गांव-गांव में खेलेंगे, चाहे कबड्डी हो, वॉलीबॉल हो, खो-खो हो। तो इतना बड़ा भार उनके ऊपर आया हुआ है, हो सकता है कि वो टेंशन में आ गए हो। कोई कमेंट कर दिया हो, लेकिन उसे ज्यादा उसको गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। उनसे बातचीत करेंगे, अभी पता नहीं, अभी मेरी बातचीत भी उनसे नहीं हुई है, होगी तो देख लेंगे। चांदना दबाव में काम कर रहे दिखते है, इतनी बड़ी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई है, जब बात होगी तो देख लेंगे।
ब्यूरोक्रेसी से असंतुष्ट हैं चांदना
उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ आईएएस कुलदीप रांका से नाराज खेल और युवा मामलों के मंत्री अशोक चांदना ने गुरुवार रात ट्वीट के जरिये इस्तीफे की पेशकश कर दी। चांदना गहलोत के नजदीकी मंत्री माने जाते हैं। आईएएस रांका मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रमुख सचिव हैं और चांदना अपने विभागों में कुलदीप रांका के दखल से नाराज हैं। चांदना ने ट्वीट किया, ‘मुख्यमंत्रीजी मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है कि मुझे इस जलालत भरे मंत्री पद से मुक्त कर मेरे सभी विभागों का चार्ज कुलदीप रांका को दे दिया जाए, क्योंकि वैसे भी वे ही सभी विभागों के मंत्री हैं।’ देर रात सोशल मीडिया पर आए चांदना के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। संभवत यह पहली बार है जब किसी मंत्री या विधायक ने सीधे मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के खिलाफ मोर्चा खोला हो।