स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने जिन संकटों को लेकर आगाह किया था, स्वतंत्र भारत में वही संकट नए रूप में सामने आ रहे हैं। इसमें से एक संकट है ‘लव जिहाद’, जिस पर नियंत्रण लगाने के लिए कई राज्यों ने कानून बना दिया है, परंतु घटनाएं नित्य ही घट रही हैं। इस मुद्दे को स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ अपनी पुस्तक ‘सहा सोनेरी पाने’ (छह स्वर्णिम पृष्ठ) में उल्लेखित किया है।
हिंदू महिलाओं के अपहरण और भ्रष्ट करने का षड्यंत्र
स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने मुगल आक्रांताओं के हमले का उल्लेख करते हुए अपनी पुस्तक में बताया है कि, मुसलमानों के धार्मिक आक्रमण और हिंदुओं की संख्या कम करने का ही एक हिस्सा उस काल में था, हिंदू स्त्रियों का आपहरण करना और उनका धर्मांतरण करके अपनी संख्या बढ़ाना। वे इस कार्य को धर्माज्ञा बताकर बढ़ावा देते थे। उस काल की स्थिति यह हो गई थी, कामविकारों को धर्मश्रद्धा का नाम देकर किये गए कृत्यों के बल पर मुसलमानों की संख्या तीव्र गति से बढ़ती गई और उसी प्रमाण में हिंदुओं की संख्या कम होती गई। हिंदुओं की लाखों स्त्रियों का मुसलमानों द्वारा निरंतर कई वर्षों तक अपहरण किया जाना, कोई धर्मांधता नहीं थी, इसे धर्मांधता मानकर अनदेखी भी नहीं की जानी चाहिए। मुसलमानों की इस धर्मांधता का एक उद्देश्य था, जिसकी उपेक्षा किये जाने के कारण ही हिंदुराष्ट्र को रक्त रंजित व्याधि ने ग्रसित कर लिया। मुसलमानों द्वारा वह सृष्टिक्रम को अपनाकर अपनी राष्ट्रीय जनसंख्या बढ़ाने की एक पद्धति थी।
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जहां मादा अधिक वहां तीव्रता से जनसंख्या वृद्धि
स्वातंत्र्यवीर सावरकर पुस्तक में लिखते हैं कि, पशुओं के झुंड से ही सृष्टि क्रम मानव में आया है। गोवंश के झुंड में यदि गाय की अपेक्षा सांड अधिक होंगे तो उस झुंड की संख्या वृद्धि धीमी होगी। इसके उलट यदि गाय की संख्या सांड की अपेक्षा अधिक होगी तो, उस झुंड का आकार निरंतर बढ़ता रहेगा। यही सृष्टि क्रम मानव झुंड में भी लागू होता है। यह क्रम आदिमानव को भी भलीभांति ज्ञात था। अफ्रिका में आदिमानवों या जंगल में रहनेवाली जातियों के मध्य जब युद्ध होता है, तो शत्रुपक्ष के पुरुषों की ही मारा जाता है, जबकि स्त्रियों को अपने साथ लेकर विजयी टोली उन्हें, बांट लेती है। यह टोली ऐसी महिलाओं से अपनी जनसंख्या बढ़ाने को अपना धर्म मानती है।
इसलिए महिलाओं को मार देती थी नागा टोलियां
नागा लोगों के अनुसार उस काल में एक जानकारी सामने आई थी, जिसमें एक टोली दूसरे से लड़ती थी, उस समय पुरुषों को धर्मयुद्ध द्वारा तय किये मानदंडों के अनुसार सादे बाण से मारा जाता था, परंतु शत्रु पक्ष की ओर से यदि स्त्री लड़ रही हो तो, उन्हें विष लगे बाण से मारकर समाप्त कर दिया जाता था। इसके पीछे का कारण था कि, वह समुदाय यह मानता था कि एक शत्रु स्त्री, जिसे पकड़ा जाना संभव नहीं है, उसे मारना पांच पुरुषों को मारने जितनी शत्रु संख्या कम करती है।
उत्तरी अफ्रीका में ऐसे बढ़ा इस्लाम
अरब मुसलमानों ने अपने छोटे झुंड और सेनापतियों के साथ उत्तर अफ्रीका की बड़ी जनसंख्या पर आक्रमण किया। उन काफिरों पर विजय प्राप्ति के पश्चात उनसे उगाही की जाती थी। उनसे आधी उगाही धन के रूप में और आधी स्त्रियों के रूप में की जाती थी। इन स्त्रियों को मुसलमान बनाकर ईमानदार अरबी सैनिकों में बांट दिया जाता था। इन अफ्रीकी दासियों से उत्पन्न संतानें मुसलमान मानी जाने लगीं, जिससे मुसलमान जनसंख्या बढ़ी और कट्टरवादी मुसलमानों की संख्या में वृद्धि होती गई। ऐसा करनेवाले सेनापतियों को ‘गाजी’ की उपाधि से सम्मानित किया जाने लगा। मुस्लिम सैनिकों का काफिरों की महिलाओं पर जड़ संपत्ति के जितना ही सर्वाधिकार कायम होता था, यह मुसलमानों का शासन सहमत धर्म सूत्र बन गया।
अब लव जिहाद
स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने भारत में इस्लामी आक्रमण और हिंदुओं की महिलाओं को उठा ले जाना, धर्मांतरण करना जैसे कृत्यों का विस्तृत उल्लेख किया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में इस्लामी आक्रमण पर नियंत्रण हो गया, परंतु हिंदू महिलाओं का धर्मांतरण चलता रहा है। इसी का एक रूप है ‘लव जिहाद’। जिसमें मुस्लिम युवक या पुरुष येन केन प्रकारेण हिंदू युवतियों को फंसाता रहा है। उन्हें अपने जाल में फंसाकर उनका धर्मांतरण करता रहा है। इसके विरुद्ध कई राज्यों ने कानून भी बनाए हैं।