रांची में एक दिव्यांग बच्चे को फ्लाइट में बैठने से रोकने के लिए इंडिगो एयरलाइंस को पांच लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा। मीडिया के जरिए मामला उजागर होने पर नागरिक उड्डयन मंत्री ने खुद संज्ञान लिया था। साथ ही फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था।जांच समिति ने इंडिगो के कर्मचारियों को नियमों का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करते पाया है। इसके बाद विमानन कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। अब डीजीसीए ने कंपनी पर इस मामले में पांच लाख का जुर्माना लगाया है।
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डीजीसीए ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि ग्राउंड स्टाफ के दयालु व्यवहार से स्थितियां ना केवल काबू में रहतीं, बल्कि बच्चे को शांत करा देने से न तो वह बोर्डिंग से वंचित होता और न ही ऐसी परिस्थितियां उभरकर आ पातीं। कहा गया है कि विशेष परिस्थितियों में असाधारण प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है लेकिन एयरलाइंस कर्मचारी उस मौके पर अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहा, जो नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं (विनियमों) के भावनाओं के पालन में चूक है। साथ ही डीजीसीए ने एयरलाइन पर पांच लाख का जुर्माना लगाने का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि रांची एयरपोर्ट पर बीते सात मई को इंडिगो की तरफ से कहा गया था कि बच्चा घबराया हुआ था। ऐसे में रांची हवाई अड्डे पर बच्चे को रांची-हैदराबाद उड़ान में चढ़ने से रोका गया, ताकि फ्लाइट के अन्य यात्रियों को दिक्कत ना हों। हवाई यात्रा के लिए देश का शीर्ष नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने कहा है कि जांच में यह पाया गया है कि इंडिगो ग्राउंड स्टाफ दिव्यांग बच्चे को संभाल नहीं पाया और उसने बच्चे को फ्लाइट पर चढ़ने से रोककर स्थिति को और संवेदनशील और कठिन बना दिया।
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