भारत-चीन और पाकिस्तान सीमा पर बर्फ भयंकर कहर ढा रही है। एक तरफ दुश्मन से सीमाओं की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी है तो दूसरी तरफ मौसम गहन परीक्षा ले रहा है। पर्वत मालाओं से खिसकती बर्फ की चादर (हिमस्खलन) सैनिकों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं। ऐसी ही घटना में चार जवानों ने अपनी जान गंवा दिया। सीमा पर ये जवान दुश्मन और मौसम के साथ दोहरी लड़ाई लड़ रहे हैं।
खिसकती बर्फ सीमा पर दिक्कतें बढ़ा रही है। देश का आम आदमी ठंड का मजा ले रहा है तो इसके पीछे सीमा पर तैनात, 24 घंटे मुस्तैदी से सुरक्षा कर रहे जवानों की मेहनत, समर्पण और त्याग है। देश को ठंडक देनेवाला सर्द मौसम सीमा पर घनघोर परीक्षा ले रहा है। वहां पहाड़ों से खिसकती हिमशिलाओं ने भारतीय थल सेना के 106 इंजीनियर रेजिमेंट के चार जवानों के प्राण ले लिये। इन जवानों में से दो जवान महाराष्ट्र के हैं।
महाराष्ट्र के वीर पुत्रों का देश सेवा में प्राण न्यौछावर करने का सिलसिला लगातार जारी है। चीन सीमा पर दो जवानों ने अपने प्राण गंवाए हैं। जिनमें से एक सैनिकों के जिले के नाम से पहचाने जानेवाले सतारा जिला से हैं। जिनका नाम सुजीत नवनाथ किर्दत हैं तो दूसरे जवान हैं लातूर निलंगा के नागनाथ अभंग लोभे।
15 दिसंबर को भी हुआ था हादसा
इसके पहले 15 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फबारी हुई थी। जिसमें महाराष्ट्र के बुलढाणा के जवान प्रदीप साहेब राव मांडले की मौत हो गई थी। प्रदीप अगस्त महीने में 15 दिनों के लिए छुट्टी पर आए थे।
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