नाम था चेकअप क्लीनिक, काम था किडनी तस्करी! ऐसे उठा पर्दा

पुलिस की पूछताछ में आरोपितों ने यह खुलासा किया है कि इन सभी आरोपितों ने अपने काम बांटे हुए थे।

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दक्षिणी जिला पुलिस ने एक ऐसे किडनी रैकेट का पर्दाफाश किया है, जो भोलेभाले लोगों को रुपये का झांसा देकर उनकी किडनी लेकर जरूरतमंदों को ऊंची कीमत पर बेचने का धंधा करता था। इस गिरोह में दिल्ली के जानेमाने अस्पताल के चिकित्सक भी शामिल हैं। राजधानी के वीआईपी हौजखास इलाके में प्री एनेस्थीसिया चेकअप क्लीनिक की आड़ में इस गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा था। पुलिस ने इस संबंध में एक डॉक्टर समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया है।

गिरफ्तार आरोपितों में सर्वजीत जलवाल (37), शैलेश पटेल (23), मोहम्मद लतिफ (24), विकास उर्फ विकास (24), रणजीत गुप्ता (43), डा. सोनू रोहिल्ला (37), डा. सौरभ मित्तल (37), कुलदीप राय विश्वकर्मा उर्फ केडी (46), ओम प्रकाश शर्मा (48) और मनोज तिवारी (36) शामिल हैं। दक्षिणी जिला पुलिस डीसीपी बेनिता मैरी जैकर ने बताया कि गत 26 मई को पहली बार इस गिरोह के बारे में जानकारी मिली थी। पुलिस ने जब जांच आरंभ की तो गिरोह के गोरखधंधे से जुड़ीं परतें खुलने लगी और दिल्ली से लेकर गुहाना तक इनके तार जुड़े मिले। इसके बाद पुलिस ने इन आरोपितो को एक-एक करके गिरफ्तार करना शुरू किया।

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ऐसे दबोचे गए गिरोह के आरोपित
दरअसल, पुलिस की एक टीम का गठन कर उसे जांच में लगाया गया। पुलिस की टीम ने जांच आरंभ की तो पता चला कि इस मामले में दिल्ली का एक नामी अस्पताल का एक डाक्टर भी शामिल है। पुलिस ने फिर मुखबिरों की सूचना के आधार पर छापा मारकर आरोपितों को गिरफ्तार किया। इस मामले में पुलिस ने चार पीड़ितों से भी संपर्क किया और उनसे आरोपितों की शिनाख्त भी करवाई। इस मामले में नामी दो लैब के भी शामिल होने का खुलासा हुआ है। पुलिस इनके प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों से भी पूछताछ कर रही है।

 ऐसे चलाते थे किडनी रैकेट
पुलिस ने मुताबिक पूछताछ में आरोपितों ने यह खुलासा किया कि इन सभी आरोपितों ने अपने काम बांटे हुए थे। ये भोलेभाले लोगों को झांसे में लेते थे। इसके लिए ऐसे लोगों को जाल में फंसाने का जिम्मा सर्वजीत और शैलेश पटेल को सौंपा गया था। वहीं मोहम्मद लतिफ एक स्कैनिंग सेंटर में काम करता था, जहां किडनी को स्कैन किया जाता था। विकास और रणजीत लोगों को दिल्ली से हरियाणा के गुहाना में स्थित उस सेंटर पर लेकर जाते थे, जहां किडनी निकाली जाती थी और महंगी कीमत लेकर जरूरतमंदों को बेचा जाता था। डा. सोनू गुहाना के सेंटर का मालिक था और डा. सौरभ मित्तल दिल्ली के एक जानेमाने अस्पताल में सेवा देता था। जबकि कुलदीप, ओम प्रकाश और मनोज आपरेशन थियेटर में काम करते थे।

अब तक इतने लोगों को जाल फंसा चुके हैं आरोपित
पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि अभीतक आरोपित गुजरात के रहने वाले रघु शर्मा (21), असम के रहने वाले दिवाकर सरकार (32), पश्चिम बंगाल के रहने वाले अश्विनी पांडेय (26) और कोची केरल के रहने वाले रिजवान (26) को अपनी जाल में फांसकर गिरोह के आरोपियों ने उनके किडनी निकाल चुके हैं। वहीं दिल्ली के रहने वाले जतीन चावला को इन आरोपियों में महंगी कीमत पर किडनी बेची थी। माना जा रहा है कि इस गिरोह ने देशभर में अपना काला कारोबार फैला रखा था।

किडनी डोनर्स के नाम से बना रखा था पेज
खासबात यह है कि किडनी डोनर्स के नाम से अलग-अलग पेज बनाकर इस गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा था। किडनी डोनर्स के नाम से जो पेज बनाए गए थे, उन पेज पर जो लोग भी सम्पर्क करते थे, उनकी आर्थिक स्थिति का पहले पता लगाया जाता था। इसके बाद उन्हें रुपये का लालच देकर किडनी देने के लिए तैयार किया जाता था। माना जा रहा है कि इस गिरोह का शिकार देशभर में काफी लोग हो चुके थे। आरोपियों के खिलाफ पुलिस काफी सुराग एकत्र कर लिए हैं। पुलिस का कहना है कि जांच पूरी होने पर इस बारे में जानकारी साझा की जाएगी।

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