ऑल अरुणाचल प्रदेश वर्कर्स यूनियन ने राज्य सरकार से एजेंसी लेबर कॉर्प्स (एएलसी) के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति अवधि को 45 से 60 वर्ष तक आयु को बढ़ाने की अपील की।
यूनियन के महासचिव तादर चाई ने 2 जून को यहां मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए ने कहा कि देश की आजादी के बाद एएलसी हमारे राज्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। कई जिलों में मोटर योग्य सड़कें नहीं हैं। सरकारी राशन के परिवहन, नए प्रशासन केंद्र खोलने, प्राकृतिक आपदाएं और चुनाव के समय भी अनेक सेवाएं प्रदान किया है। राज्य में 2,700 से अधिक एएलसी कार्यकर्ता हैं। राज्य में चुनाव आयोग के अनुसार 518 से अधिक दूरस्थ बूथ है। प्रत्येक बूथ में 4 एएलसी की संख्या की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि अभी भी राज्य के कुछ बूथ एएलसी कार्यकर्ताओं पर निर्भर हैं। लेकिन, यह दुर्भाग्य है कि सरकार ने उन्हें 45 वर्ष की आयु में ही सेवानिवृत्त कर दिया जा रहा है। इसलिए हमने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि एएलसी की सेवानिवृत्ति की आयु को 45 से 60 वर्ष या उनकी शारीरिक क्षमता के आधार पर बढ़ाया जाए। उन्हें एक आधिकारिक कर्मचारी के रूप में ग्रुप-डी में भी शामिल किया जाए। उन्होंने मातृत्व अवकाश के समय को छह महीने तक बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की भी सराहना की।
कई विभागों पर विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) के संचालन में सरकारी आदेश का समय पर पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए यूनियन के सचिव ताजे दिगबक ने कहा कि समय पर डीपीसी का संचालन नहीं करने के कारण कई सरकारी कर्मचारी विशेष रूप से श्रमिक समुदाय को पदोन्नति नहीं मिलने से अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा सरकार के नियमों का हर छह महीने में विभाग को डीपीसी करना चाहिए। उन्होंने वर्तमान में कुछ इंजीनियरिंग विभागों के अलवा राज्य का कोई भी विभाग में इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यद्यपि हमारे अनुरोध के अनुसार ग्रेड पे को लागू किया गया है, लेकिन समान रूप से नहीं किया गया। सरकार ने केवल कुछ चुनिंदा पदों के लिए ग्रेड पे में वृद्धि की है। उन्होंने राज्य सरकार से बिना किसी भेदभाव के सभी को ग्रेड पे बढ़ाने का अनुरोध किया है।
यूनियन उपाध्यक्ष तादर डोवा ने कहा कि हर राज्य में असंगठित क्षेत्र के लिए कुशल और अकुशल श्रम के लिए मजदूरी दर निश्चित है, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में अभी भी तय नहीं होने के कारण जनता को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मजदूरों को उनकी मजदूरी दर मन मर्जी से तय की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में हमने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था और हमारे पत्र का जवाब देते हुए मुख्य सचिव ने सभी जिला उपायुक्त को अपने-अपने क्षेत्र में असंगठित श्रमिक समुदाय के लिए निर्धारित मजदूरी दर के लिए एक आदेश जारी किया है, लेकिन आज तक जिला प्रशासन ने वह दर तय नहीं किया है। साथ ही उन्होंने राज्य सरकार से शीघ्र मजदूरी की दर तय करने का आह्वान किया है।
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