ज्ञानवापी प्रकरण पर आरएसएस प्रमुख ने कही ये बात!

डॉ. भागवत ने कहा कि देश के विभाजन के बाद जो लोग पाकिस्तान नहीं गए, उन्हें यहां की परंपराओं और संस्कृति के अनुरूप होना चाहिए। दोनों धर्मों के लोगों को एक दूसरे को धमकी देने से बचना चाहिए।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि वाराणसी के ज्ञानवापी मसले पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष आपसी चर्चा से रास्ता निकालें। साथ ही सरसंघचालक ने आवाह्न किया कि मुस्लिम पक्ष संविधान पर चलने वाली न्यायपालिका के फैसले का सम्मान करें। वहीं, डॉ. भागवत ने अतिवादी हिंदुओं को भी नसीहत देते हुए कहा कि हर मस्जिद में शिवलिंग खोजना बंद करें।

नागपुर के रेशमबाग मैदान पर आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में पाथेय देते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि भारत पर आक्रमण के बाद इस्लामी शासकों ने हिंदुओं की आस्था के प्रतीक कई मंदिरों को तोड़ा। यह मूल रूप से हिंदू समुदाय का मनोबल गिराने का प्रयास था। हिंदुओं को लगता है कि ऐसे स्थानों को अब पुनर्जीवित किया जाना चाहिए, लेकिन आज के मुसलमान हमारे अपने पूर्वजों के वंशज हैं। हमें ज्ञानवापी के मुद्दे पर आपसी चर्चा से रास्ता खोजना होगा। कोई पक्ष कोर्ट जाता है तो न्यायपालिका के निर्णय का सम्मान होना चाहिए।

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संघ कि भूमिका स्पष्ट करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि इससे पहले संघ राम मंदिर आंदोलन में शामिल हुआ था लेकिन 9 नवंबर को संघ ने अपनी भूमिका साफ कर दी थी। अब संघ किसी भी धार्मिक आंदोलन का हिस्सा नहीं होगा। सरसंघचालक ने कहा कि संघ किसी कि पूजा पद्धति के खिलाफ नही है। देश को यदि विश्वगुरू बनाना है तो समाज में आपसी समन्वय, स्नेहभाव और भाईचारा रखना चाहिए।

डॉ. भागवत ने कहा कि देश के विभाजन के बाद जो लोग पाकिस्तान नहीं गए, उन्हें यहां की परंपराओं और संस्कृति के अनुरूप होना चाहिए। दोनों धर्मों के लोगों को एक दूसरे को धमकी देने से बचना चाहिए। मुसलमानों में हिन्दुओं को लेकर यदि प्रश्नचिह्न है तो चर्चा होनी चाहिए। सरसंघचालक ने कहा हिंदुत्व देश की आत्मा है और इसमें उग्रवाद के लिए कोई स्थान नहीं है।

इस अवसर पर मंच पर अशोक पाण्डेय, विदर्भ प्रदेश के संघचालक राम हरकरे और महानगर संघचालक राजेश लोया मौजूद थे। इसके अलावा, महाराज लीशेम्बा संजाओबा (मणिपुर के राजा), अनुराग बिहार (सीईओ, अजीम) प्रेमजी फाउंडेशन), संजीव सान्याल, कामाक्षी अक्का, सुनील मेहता (ए. भा. सह-बौद्धिक प्रमुख)। वह विशेष रूप से उपस्थित थे।

शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों शक्ति आवश्यक
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कमलेश पटेल उपाख्य दाजी ने कहा कि आतंकवादियों के बीच बहुत एकता है। यदि कोई किसी प्रांत में किसी बम पर शोध करे तो वह तकनीक अन्य आतंकवादियों को बहुत कम समय में उपलब्ध हो जाएगी। उनमें समन्वय है। सात्विक लोग बहुत बड़े काम करते हैं, लेकिन दो संत एक दूसरे के साथ नहीं बैठेंगे। एकता के बिना भारत की प्रगति संभव नहीं है। यदि आप विश्व नेता बनना चाहते हैं, तो दुनिया को दिशा दिखाना महत्वपूर्ण है। आध्यात्मिकता चाहे कैसी भी हो, भौतिक शक्ति प्राप्त करना आवश्यक है। भौतिक और आध्यात्मिक दोनों की संयुक्त शक्ति से देश विश्वगुरू बन सकता है। सभी समाजों, संस्थाओं को एक साथ आना चाहिए और देश का पुनर्निर्माण करना चाहिए। कमलेश पटेल ने कहा कि गरीबी मिटानी होगी और देश में नई ऊर्जा का सृजन करना होगा। इससे हमारे संत महाराज का सपना पूरा होगा। विविधता के बावजूद देश की सेवा उसी भावना से करनी चाहिए।

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