असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने 4 जून को राजभवन में आयोजित एक समारोह में 60 दिवसीय ‘नशीली दवाओं, तंबाकू और शराब के खिलाफ जागरुकता’ अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
सामाजिक विकास संगठन ब्यतिक्रम मासडो द्वारा प्रतिबंधित दवाओं, शराब और तंबाकू के सेवन के खिलाफ जन जागरुकता पैदा करने के लिए यह 60 दिवसीय अभियान शुरू किया गया है।
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इस अवसर पर राज्यपाल मुखी ने इस अभियान की सराहना की और कहा कि इसमें लोगों में जागरुकता पैदा करने की क्षमता है। राज्यपाल ने कहा कि नशीले पदार्थों का सेवन पूरी दुनिया में युवाओं को प्रभावित कर रहा है। यह सामाजिक, सांस्कृतिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से समाज को प्रभावित कर रहा है। असम में, नशीले पदार्थों के आदी लोगों की एक बड़ी संख्या है। उन्होंने कहा कि हमें ड्रग्स, शराब और तंबाकू के बुरे प्रभावों के बारे में समाज में जागरुकता पैदा करने के लिए अपनी आवाज उठाने की जरूरत है। आशा है कि यह जागरुकता अभियान नशीली दवाओं के दुरुपयोग और मादक पेय और तंबाकू के सेवन की प्रमुख समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में बहुत सफल होगा।
राज्यपाल ने राज्य में नशा और तस्करों पर नकेल कसने के लिए असम पुलिस के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य भर की पुलिस ने अपने जवानों और संसाधनों के साथ नशीले पदार्थों के व्यापार पर भारी प्रहार किया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में भारी मात्रा में प्रतिबंधित पदार्थ जब्त किए गए। इसके अलावा, नशीली दवाओं के खतरे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के अपने इरादे को स्पष्ट करते हुए, इस प्रकार जब्त की गई प्रतिबंधित दवाओं में आग लगा दी गई। उन्होंने कहा कि राज्य प्रशासन अवैध शराब से निपटने में भी उतना ही सख्त और अडिग रहा है। आबकारी विभाग ने पुलिस के साथ विशेष रूप से चाय बागान क्षेत्र में छापेमारी की और कई स्थानों पर शराब का अवैध निर्माण और व्यापार किया जाता था, जिसे नष्ट किया।
राज्यपाल ने कहा कि शराब और तंबाकू का सेवन समान रूप से हानिकारक है और इससे बचना चाहिए। वे गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा करते हैं। राज्यपाल ने अभियान की बड़ी सफलता की कामना की और समाज के सभी वर्गों से नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ सकारात्मक संकल्प दिखाने की अपील की। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को आगे आना चाहिए और किसी भी मादक पदार्थ के सेवन के खिलाफ प्रतिरोध पैदा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। राज्यपाल ने शिक्षण संस्थानों से युवाओं को राष्ट्रीय विकास में योगदान करने के लिए प्रेरित करने और इस तरह की हानिकारक प्रथाओं में शामिल न होने का आग्रह किया।
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