मौसमी कारकों और तीन महीने से अधिक समय से रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने दुनिया भर में खाद्य संकट पैदा कर दिया है। पूरा विश्व अपनी-अपनी जरूरतों को पूरा करने में लगा है। भारत ने भी इस वजह से गेहूं सहित कुछ और जरूरी चीजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दी है। भारत के इस फैसले का वैश्विक बाजार पर प्रतिकूल असर पड़ा है। वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है और रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है। इसका दूसरा दुष्प्रभाव कई देशों पर ऐसा पड़ा है कि वे गेहूं के दाने के लिये मोहताज हो गए हैं।
सूत्रों के अनुसार यह जानकारी मिली है। 13 मई को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने जारी अधिसूचना में कहा, कि इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले जिस खेप के लिए अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एलओसी) जारी किए गए हैं, सिर्फ उसके निर्यात की अनुमति होगी। डीजीएफटी ने कहा, कि गेहूं की निर्यात नीति पर फिलहाल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार द्वारा दूसरे देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर दी गई अनुमति पर गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी।
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2021-22 में गेहूं निर्यात बढ़ा
मजबूत वैश्विक मांग के कारण 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात बढ़कर 70 लाख टन मतलब 2.05 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। डीजीएफटी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत खेप बांग्लादेश भेजी गई थी। पिछले साल इसी अवधि में 1,30,000 टन के मुकाबले देश ने इस साल लगभग 9,63,000 टन गेहूं का निर्यात किया है। भारत को 2022-23 में एक करोड़ टन गेहूं का निर्यात करने की उम्मीद थी। वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि भारत गेहूं के निर्यात की खेप को बढ़ावा देने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए नौ देशों-मोरक्को, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, वियतनाम, तुर्की, अल्जीरिया और लेबनान में व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजेगा।
सरकारी खरीद में आई कमी
निजी व्यापारियों द्वारा भारी उठान और पंजाब-हरियाणा में कम आवक के कारण मौजूदा रबी विपणन सत्र में एक मई तक भारत की गेहूं खरीद भी 44 प्रतिशत घटकर 1.62 लाख टन हो गई है। सरकार ने एक साल पहले की अवधि में 2.88 लाख टन गेहूं की खरीद की थी। रबी विपणन सत्र अप्रैल से मार्च तक चलता है। निर्यात के लिए अनाज की बढ़ती मांग के बीच निजी कंपनियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक कीमत पर गेहूं खरीदा है। केंद्र ने विपणन वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 4.44 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले विपणन वर्ष में यह 4.33 लाख टन था। केंद्रीय पूल के लिए कम खरीद के बीच केंद्र ने थोक उपभोक्ताओं को मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री रोक दी है और उन्हें अनाज खरीदने के लिए योजना के शुरू होने की प्रतीक्षा नहीं करने को कहा है। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में गेहूं का रिकॉर्ड 11.13 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है।