स्वातंत्र्यवीर सावरकर के अनुयायी वासुदेव शंकर गोडबोले नहीं रहे। उनका जीवनकाल अध्ययन, लेखन और देश भक्ति के कार्यों से परिपूर्ण रहा। लंदन में स्वातंत्र्यवीर के तत्कालीन निवास स्थान पर स्मारक शिला स्थापित करवाने के लिए उन्होंने कठिन परिश्रम किया था।
वासुदेव शंकर गोडबोले अपने वीएस गोडबोले नाम से अधिक प्रख्यात थे। स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जन्म शताब्दी के समय भारतीय समुदाय द्वारा छापे गए समाचार पत्रों के लिए उन्होंने लेख लिखे, भाषण दिये। 1985 में वीएस गोडबोले और उनके मित्रों के प्रयत्नों से जिस स्थान पर अपने लंदन प्रवास में स्वातंत्र्यवीर रहते थे वहां ग्रेटर लंदन काउंसिल से नीली स्मारकशिला लगवाई। इसके अलावा भी उन्होंने पारतंत्र काल में भारतीय क्रांतिकारियों के रुकने के स्थानों को खोजकर निकाला और ‘लंदन के सावरकर’ दर्शन नामक यात्रा 1987 से लगातार आयोजित करते थे। इसके अलावा ‘सावरकरांच्या बुद्धिवादी वैशिष्ट्ये’ नामक पुस्तक का उन्होंने अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है।
वीएस गोडबोले ने कई पुस्तकें लिखीं। जो इस प्रकार हैं।
ताज महल – सिंपल अनालिसिस ऑफ ए ग्रेट डिसिप्शन
व्हाय रीव्राइट इंडियन हिस्टरी
गॉड सेल इंडिया (पंजाब पॉलिटिक्स)
ताज महल एंड ग्रेट ब्रिटिश कॉन्स्पिरेसी
अराउंड लंदन इन टेव हावर्स (ए टूर प्लेसेस इन लंदन, असोसिएटेड विथ इंडियन फ्रीडम फाईटर्स)
वीएस गोडबोले पिछले सप्ताह भर से फेफड़े में इन्फेक्शन के कारण अस्पताल में भर्ती थे। इसकी जानकारी उनके पुत्र संकेत गोडबोले ने दी। अंग्रेजों के देश में रहकर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कार्य करना, जिन स्थानों पर सेनानी रुके थे उन स्थानों को स्मारकों के रूप निर्दिष्ट करवाना और उसे भारतवंशियों की नई पीढ़ियों को बताना वीएस गोडबोले के जीवन का अभिन्न अंग था। वे स्वतंत्र भारत के सेनानी थे जो भारतीय देश प्रेमियों के स्मरण में सदा रहेंगे।
Join Our WhatsApp Community