उत्तर प्रदेश सरकार की पहल पर मलेरिया के लक्षण वाले मरीजों की जांच अब उनके घर पर भी हो सकेगी। इसके लिए आशा वर्करों को प्रशिक्षित कर उन्हें ‘रैपिड किट’ प्रदान किया गया है। ‘दस्तक’ अभियान के दौरान आशा वर्कर लोगों के घर-घर जाएंगी। मलेरिया से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ ही वह मलेरिया के लक्षण वाले मरीजों की उनके घर पर ही जांच करेंगी ताकि मलेरिया की पुष्टि होते ही मरीज का फौरन उपचार शुरू हो सके।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने 10 जून को बताया कि मच्छर जनित बीमारी मलेरिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग जून माह को ‘मलेरिया रोधी’ माह के रूप में मना रहा है। इसके तहत ‘हर रविवार, मच्छरों पर वार’ जैसे जागरुकता कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर लोगों को मलेरिया से बचाव एवं त्वरित उपचार के प्रति जागरूक कर रहे हैं। इस क्रम में चल रहे दस्तक अभियान के तहत आशा वर्करों को निर्देश दिये गये हैं कि घर-घर जाकर वह मलेरिया से बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करेंगी ही, साथ ही यदि मलेरिया के लक्षण वाले किसी मरीज की उन्हें जानकारी मिलेगी तो पीड़ित को मलेरिया है या नहीं इसकी फौरन जांच भी करेंगी। इसके लिए आशा वर्करों में प्रत्येक को दस-दस ‘रैपिड किट’ प्रदान किये गये हैं। इस किट के जरिये मरीजों की जांच को लेकर उन्हें प्रशिक्षित भी किया गया है।
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जिला मलेरिया अधिकारी शरतचंद्र पाण्डेय ने बताया कि रैपिड किट से जांच के दौरान किसी व्यक्ति को मलेरिया की पुष्टि होने पर आशा कार्यकर्ता फौरन इसकी जानकारी अपने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को देंगी। सूचना मिलते ही प्रत्येक पीएसी पर गठित रैपिड रिस्पांस टीम सक्रिय हो जाएगी। यह टीम मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति का तत्काल उपचार शुरू करेगी। उसे दवाएं उपलब्ध कराने के साथ ही आवश्यकता पड़ने पर अन्य जांच भी कराएगी। जरूरत पड़ने पर उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती भी कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि मच्छर जनित बीमारी मलेरिया से बचने के लिए इसके प्रति सतर्कता ही सबसे बेहतर उपाय है।
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