पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनात होगी सेना?

पश्चिम बंगाल में लंबे काल से हिंसक घटनाएं हो रही हैं। इसमें राजनीतिक वैमनस्य के कारण होनेवाली हिंसा सि इन्कार नहीं किया जा सकता।

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पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर पिछले चार दिनों से पश्चिम बंगाल के हावड़ा, मुर्शिदाबाद और नदिया जिले में जारी हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी के मामले में उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल हुई है। याचिकाकर्ता ने हिंसा पीड़ित क्षेत्रों में हालात संभालने के लिए सेना उतारने और विरोध प्रदर्शनों की एनआईए जांच की मांग की है। इसमें दावा किया गया है कि सभी क्षेत्रों में 9 जून से शुरू हुई हिंसा को 10 जून को और व्यापक रूप दिया गया और योजनाबद्ध तरीके से पत्थरबाजी, तोड़फोड़, आगजनी, सरकारी संपत्ति को नुकसान, रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़, ट्रेनों को रोक कर आगजनी आदि हुई है। राज्य प्रशासन चार दिनों तक हालात को संभाल नहीं पाया और हिंसा लगातार बढ़ती गई। ऐसे में हिंसा ग्रस्त क्षेत्रों में हालात सामान्य करने के लिए आर्मी की तैनाती की जानी चाहिए। इसके अलावा इस हंगामे के पीछे कौन लोग रहे हैं, इसमें किसी तरह के आतंकवादी संगठनों की भूमिका है या नहीं इसकी राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई है। 13 जून को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता से पूछा कि इन घटनाओं को रोकने की जरूरत है। जो सरकारी संपत्ति नष्ट हुई है उसे वापस कैसे दिया जाएगा?

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महाधिवक्ता ने बताया कि अभी तक 214 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का भी जिक्र किया जिसके बाद कोर्ट की कार्यवाही अस्थाई तौर पर मुल्तवी की गई है। शाम के समय फिर सुनवाई होनी है।

उल्लेखनीय है कि देवदत्त मांझी नाम के शख्स ने हावड़ा और अन्य क्षेत्रों में हुई हिंसा और विरोध प्रदर्शन के पीछे आतंकवादियों की भूमिका होने का दावा कर घटना की एनआईए जांच की मांग की थी। उन्होंने हाईकोर्ट से सेना उतारने का निर्देश देने की गुजारिश की है।

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