देश में 14 जून को वट पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए विशेष है। दरअसल, इस दिन आसमान में दो खगोलीय घटनाएं एक साथ देखने को मिलेंगी। वट वृक्ष की विशालता की तरह पूर्णिमा का चंद्रमा भी विशाल दिखने जा रहा है। यह सुपरमून होगा। वहीं दिन में सूरज से सीधा सामना होगा।
दोपहर में सूरज ठीक सिर के ऊपर होगा। इस कारण बड़ी इमारत, टॉवर और यहां तक कि इंसान की परछाई भी कुछ देर के लिए उसका साथ छोड़ देगी। इस घटना को जीरो शैडो कहते हैं।
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ये है कारण
भोपाल की राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने सुपरमून और जीरो शैडो डे की एक ही दिन होने जा रही दो खगोलीय घटनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर गति करता दिखता सूर्य अपने अंतिम पड़ाव के 7 दिन पहले मंगलवार, 14 जून को दोपहर में हमारे सिर के ठीक ऊपर पहुंचेगा। इस कारण आमतौर पर तिरछी पड़ने वाली किरणें मध्यान्ह में ठीक सीधी पड़ रही होंगी। उन्होंने बताया कि प्लस 23.5 एवं माइनस 23.5 अक्षांश के बीच रहने वालों के लिये पूरे साल में दो दिन ऐसे आते हैं जब सूर्य ठीक सिर के ऊपर होता है। इस समय किसी भी वस्तु की परछाई दिखना बंद हो जाती है। इसे जीरो शैडो डे कहते हैं।
दूसरी घटना
दूसरी खास खगोलीय घटना के बारे में सारिका ने बताया कि चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा अंडाकार पथ पर करते हुए तीन लाख 61 हजार 885 किलोमीटर से कम दूरी पर रहता है तो उस समय पूर्णिमा का चन्द्रमा सुपरमून कहलाता है। पृथ्वी से 3 लाख 57 हजार 658 किलोमीटर की दूरी पर रहते हुए वट पूर्णिमा का चांद सुपरमून होगा। यह माइक्रोमून की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार दिखेगा।
पश्चिमी देशों में इसे कहा जाता है- स्ट्रोबेरी मून, रोजमून और हनीमून
सारिका ने बताया कि पश्चिमी देशों में इसे स्ट्रोबेरी मून, रोजमून और हनीमून भी कहा जाता है। इस साल का यह पहला सुपरमून होगा। पृथ्वी से चंद्रमा की यह निकटता शाम 5 बजकर 22 मिनट पर होगी। तो तैयार हो जाइए, इन खगोलीय घटनाओं का दीदार करने के लिए। दोपहर में अपनी काया से साया का साथ छोड़ते देखिए, तो शाम सुपरमून को यादगार बनाने के लिए क्षितिज से उदित हो रहे चंद्रमा की फोटोग्राफी कीजिए। मून इलुजन की घटना के कारण चंद्रमा विशाल गोले के रूप में दिखेगा।