महाराष्ट्र में मेडिकल छात्रों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में एक साल सेवा देना अनिवार्य होगा। 10 लाख रुपये का जुर्माना देकर ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं से बचने की रियायत अब बंद कर दी गई है। आरक्षण प्राप्त और शुल्क में छूट प्राप्त करने वाले छात्रों को अब ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देनी ही होंगी। इस वर्ष चिकित्सा सेवाओं के लिए प्रवेश पाने वाले छात्रों को एमबीबीएस पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद एक साल के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देनी ही होगी।
कोरोना काल में ग्रामीण महाराष्ट्र में डॉक्टरों की कमी थी। इसी पृष्ठभूमि में यह फैसला लिया गया है। पिछले कई सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा से 10 लाख रुपये का जुर्माना भरकर बचा जा सकता था। अब इस फैसले को बदल दिया गया है।
इसलिए लिया गया यह निर्णय
राज्य में वर्तमान में 3600 चिकित्सा पद हैं, जिनमें से 2800 सरकारी हैं। इनमें से करीब 60 प्रतिशत डॉक्टर ग्रामीण इलाकों में सेवा देने से मना कर देते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए वहां सेवा देना अनिवार्य कर दिया गया है। महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 14 जून को एक सरकारी रिजोल्यूशन( जीआर) जारी किया। इसमें 2022-23 में एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए गांवों में एक साल सेवा देना अनिवार्यकर दिया गया है।