भाजपा नेता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के बयान के बाद कानपुर सहित प्रदेश के कई शहरों में जुमे की नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन, पत्थरबाजी, आगजनी आदि की घटनाओं को लेकर मुस्लिम संगठन जमियत उलमा ए उत्तर प्रदेश पूर्वी जोन ने समुदाय के युवाओं से बड़ी अपील की है।
जमीयत उलमा ए उत्तर प्रदेश पूर्वी जोन के जनरल सेक्रेटरी हाफिज ओबैदुल्लाह ने 15 जून की शाम बयान जारी कर कहा कि हम अपने पैगंबर की शान में गुस्ताखी हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम कानून के दायरे में लोकतांत्रिक तरीके पर अपना विरोध दर्ज कराएंगे और इसके खिलाफ हर संभव कानूनी कार्रवाई भी करेंगे।
याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लंबित
जमीयत उलमा ए उत्तर प्रदेश पूर्वी जोन के महासचिव हाफिज ओबैदुल्लाह ने कहा कि इस संबंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की एक याचिका भी सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम सड़कों पर उतर जाएं और असामाजिक तत्वों के जाल में फंस जाएं। हम अपने युवाओं से अपील करते हैं कि खुदा के लिए होश में आओ, किसी के बहकावे में हरगिज मत आओ, आपका सड़कों पर उतरना सांप्रदायिक शक्तियों की जीत है, वो इस इंतज़ार में हैं कि आप सड़कों पर उतरे और वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएं।
नबी की शिक्षाओं पर अमल करने की जरुरत
उन्होंने कहा कि यदि हम वास्तव में हम अपने नबी से मुहब्बत करते हैं, तो इसके लिए हमें उनकी शिक्षाओं को अपनाने की आवश्यकता है। नबी ने फरमाया: “जो तुमसे रिश्ता तोड़े, तुम उससे रिश्ता जोड़ो, जो तुम्हारे साथ ज़ुल्म करे तुम उसको माफ कर दो, जो तुम्हारे साथ बदसुलूकी करे तुम उसके साथ एहसान करो।” याद रखें कि नफरत को कभी भी नफरत से नहीं मिटाया जा सकता। कुरान कहता है, “जवाब दो उसके द्वारा जो उससे बेहतर हो, फिर तुम देखोगे कि जिससे तुम्हारी दुश्मनी थी, वह ऐसे हैं जैसे वह तुम्हारा सबसे अच्छा दोस्त हैं।”
चरम पर सांप्रदायिकता और नफरत का बाजार
हाफिज ओबैदुल्लाह ने कहा कि इस समय हमारा देश बहुत ही विकट स्थिति से गुजर रहा है। सांप्रदायिकता और नफरत का बाजार अपने चरम पर है। ऐसा लगता है कि कानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसियां और अधिकारी कानून को लागू करने में और अपने लोगों का विश्वास हासिल करने में विफल साबित हो रहे हैं। पीड़ितों की पुकार सुनने वाला कोई नहीं है। ऐसे में एक ज़िम्मेदार नागरिक के तौर पर हमारी भी कुछ ज़िम्मेदारियां हैं।
नफरत फैलाने वाले तत्वों से रहें सावधान
उन्होंने युवाओं से अपील किया कि अपने जजबात पर कंट्रोल करें, ये नफरती तत्व केवल मुट्ठी भर हैं (जो किसी भी समाज में हो सकते हैं), हम उनके बहकावे में आकर देश और समाज के लिए परेशानी और अपमान का कारण न बनें। अपने से बड़ों पर भरोसा करें और उनके बताए रास्ते पर चलें। अल्लाह की तरफ मुतवज्जाह हों, अपने गुनाहों की तौबा करें, नमाज़ बजामात का एहतेमाम करें। रात लंबी हो सकती है लेकिन इंशाअल्लाह सुबह भी ज़रूर होगी।