बॉम्बे उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक और पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की याचिका पर निर्णय सुना दिया। इस निर्णय से सरकार की राह और कठिन हो गई है। उच्च न्यायालय ने दोनों ही नेताओं को विधान परिषद चुनाव में मतदान के लिए अनुमति नहीं दी है।
अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने विधान परिषद चुनाव में मतदान के लिए अस्थाई छूट देने की मांग की थी। जिस पर न्यायाधीश एल.जे जमादार ने निर्णय सुनाते हुए याचिका के अनुरूप छूट देने से मना कर दिया है। महाविकास आघाड़ी के दोनों ही नेता न्यायिक हिरासत में हैं।
राज्यसभा निर्वाचन में भी नहीं मिली थी अनुमति
पिछले दिनों संपन्न हुए राज्यसभा चुनावों के लिए भी दोनों नेताओं को मतदान करने की अनुमति नहीं मिल पाई थी। यह मतदान 10 जून, 2022 को हुआ था, जिसमें सरकार के तीनों घटक दलों को एक-एक उम्मीदवार और भारतीय जनता पार्टी के तीन उम्मीदवार विजयी हुए थे।
न्यायालय का ऑब्जर्वेशन
प्राप्त जानकारी के अनुसार बॉम्बे उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में सुनवाई करते हुए सेक्शन 62(5) का अवलोकन किया। इस सेक्शन में रिप्रेजेटेशन ऑफ प्यूपल्स एक्ट न तो मात्र दोषी को ही बल्कि आरोपी को भी मतदान की अनुमति नकारता है।
देशमुख पर आरोप
प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपने गृहमंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए 4.70 करोड़ रुपए कुछ पुलिस अधिकारियों की सहायता से मुंबई के बीयर बार से इकट्ठा किये। इस आरोप में अनिल देशमुख को नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था।
नवाब भी इसलिए हैं अंदर
महाविकास आघाड़ी के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक को प्रवर्तन निदेशालय ने 23 फरवरी, 2022 को गिरफ्तार किया है। उन्हें आतंकी दाऊद इब्राहिम से संबंधों और मनी लॉड्रिंग के प्रकरण में गिरफ्तार किया गया था।