कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी यंग इडिया प्रकरण में जेल जाएंगे? राजनीतिक हलकों में ये चर्चा जोरों पर है । कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता दबी जुबान में इसकी चर्चा कर रहे हैं । भारतीय जनता पार्टी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी तो डंके की चोट पर कह रहे हैं कि राहुल गांधी को जेल में जाने से कोई नहीं बचा सकता।
नेशनल हेराल्ड मामले में पैसों का ऐसा घुमावदार मकड़जाल में सीधे गांधी परिवार फंस गया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को ईडी का नोटिस मिलने पर कांग्रेस में भूचाल आ गया है । देश के विभिन्न हिस्सों में कांग्रेसियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिये हैं। लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर कानून का शिकंजा कस गया है । कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या नेहरू-गांधी परिवार कानून से ऊपर है । देश में स्थापित कानून के कोई मायने कांग्रेस प्रमुख के लिए है या नहीं?
नेशनल हेराल्ड में क्या- क्या चूक कर गई कांग्रेस
वर्ष 1938 से शुरू हुए नेशनल हेराल्ड समाचार मार्च 2008 तक चलता रहा । 1995 में कर्मचारियों के वेतन का हवाला देते हुए लखनऊ संस्करण बंद कर दिया गया । 2008 में तकनीकी अक्षमता का हवाला देते हुए दिल्ली संस्करण भी बंद कर दिया गया । लेकिन कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड को 90 करोड़ रुपए का ब्याज मुक्त कर्ज दे दिया। ये सीधे तौर पर जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है।
इस तरह किया गया बंटवारा
कांग्रेस ने 26 अप्रैल 2012 को नेशनल हेराल्ड का स्वामित्व यंग इंडिया को सौंप दिया। इसमें 76 प्रतिशत हिस्सा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को दिया गया, जबकि 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी मोती लाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज को दी गई । लेकिन यंग इंडिया की करोड़ों रुपए की संपत्ति पर कांग्रेस नेतृत्व मौन है
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे
कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी की ईडी पेशी पर रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मीडिया पर अपना पक्ष रखा लेकिन सुरजेवाला ने मीडिया पर ही चिल्लाना शुरू कर दिया- मीडिया उलूल जलूल सवाल पूछ रहा है। इस तरह जो सवाल नेशनल हेराल्ड से जुड़े थे, उन पर न बोल कर वे मीडिया पर तंज कसते रहे । कांग्रेस ने जल्दबाजी में रणदीप सुरजेवाला को हटाकर जयराम रमेश को कमान सौंपी है।
राहुल को गिरफ्तार किए जाने के पर्याप्त सबूत
कानून के जानकारों का मानना है कि गांधी परिवार के जेल में जाने के पर्याप्त सबूत हैं। कांग्रेस भले ही कहे कि उसने गैर लाभ संगठन के तौर पर कर्ज देकर और पत्रकारों को तनख्वाह देकर कोई गैर कानूनी काम नहीं किया लेकिन यंग इंडिया से जुडे़ दस्तावेज दूसरी कहानी कह रहे हैं।