केंद्र सरकार की युवाओं के लिए सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन और राष्ट्रीय संपत्ति को क्षति पहुंचाए जाने से देश के विकास को गंभीर क्षति पहुंची है। युवाओं के जो हाथ राष्ट्र व समाज के निर्माण के लिए उठने चाहिए, वे हाथ राष्ट्र की संपत्ति को जलाने और नष्ट करने के लिए उठे हैं। युवाओं को समझना चाहिए कि वे बसों, ट्रेनों और कार्यालयों को नहीं जला रहे बल्कि अपने घर की संपत्ति को आग के हवाले कर रहे हैं। अगर यह कहा जाए कि वे जिस डाल पर बैठे हैं, उसी को काट रहे हैं, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। देश को इसकी कीमत कई वर्षों तक चुकानी पड़ेगी। युवाओं को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि कुछ समाज एवं राष्ट्र विरोधी तत्व सोशल मीडिया के माध्यम से अग्निपथ योजना की गलत एवं भ्रामक व्याख्या कर उनको दिग्भ्रमित कर रहे हैं।
भारतीय सशस्त्र बलों में भर्ती से संबंधित अग्निपथ योजना में चयनित उम्मीदवारों को चार साल की अवधि के लिए थल सेना, वायु सेना और नौसेना में अग्निवीर के रूप में काम करने का मौका मिलेगा। सेना में चार साल की अवधि पूरी होने पर ये अग्निवीर एक अनुशासित और एवं कुशल श्रमशक्ति के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में करियर बना सकेंगे। इन्हीं अग्निवीरों में 25 फीसद लोगों को सेना में नियमित कर दिया जाएगा। शेष युवाओं को पुलिस, सीमा सुरक्षा बल सहित विभिन्न सिविल नौकरियों की भर्ती में सरकार प्राथमिकता देगी। यहां तक कि कॉरपोरेट सेक्टर की भर्ती में अग्निवीर का कार्य कर चुके युवाओं को वरीयता देने की बात कही गई है।
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देश के लिए एक सशक्त सेना तैयार
वास्तविकता तो यह है कि यह योजना देश की सेवा करने के इच्छुक भारतीय युवाओं को कम अवधि के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती होने का अवसर प्रदान करती है। साथ ही यह सशस्त्र बलों के युवाओं के प्रोफाइल को भी बेहतर करती है। इसके तहत युवाओं को कम अवधि के लिए सेना में कार्य करने का अवसर प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। इस योजना के माध्यम से सशस्त्र बलों में युवाओं और अनुभवी कर्मियों के बीच एक अच्छा संतुलन स्थापित होगा और इससे देश के लिए एक सशक्त सेना तैयार हो जाएगी।
अग्निपथ योजना के तहत प्रारंभिक तौर पर सेना में कुल भर्ती प्रक्रिया की मात्र तीन फीसद भर्ती की जाएगी जबकि 97 फीसदी भर्ती पूर्ववत जारी रहेगी। हालांकि बाद में इसको बढ़ाया जाएगा लेकिन इस योजना के तहत कुल सेना बल का 50 फीसद से ज्यादा नहीं होगा। आंदोलित और भ्रमित युवाओं को यह समझने की आवश्यकता है कि इस योजना के माध्यम से सेना में रोजगार के अवसर नहीं खत्म किए जा रहे बल्कि इसके माध्यम युवाओं को कुशल श्रम के लिए तैयार कर उनके लिए रोजगार की और अधिक संभवाएं उत्पन्न की जा रही हैं।
समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान
अग्निपथ योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि देश की सेवा की आकांक्षा रखने वाले लाखों युवा महिला और पुरुषों को सेना में भर्ती होकर राष्ट्र निर्माण में योगदान करने का सुअवसर मिल सकेगा। सशस्त्र बलों में शामिल होने से न केवल देश की सेनाएं सशक्त होंगी बल्कि इससे युवाओं में अनुशासन, जोश, प्रेरणा, कार्य कुशलता, प्रतिबद्धता, टीम लीडरशिप और देश के प्रति समर्पण जैसे अनेक गुण विकसित होंगे। और जब ये युवा चार साल बाद सिविलियन बन समाज के विभिन्न सेक्टरों में काम करेंगे तो इससे समाज मजबूत होगा और अगर समाज मजबूत होगा तो निस्संदेह यह भारत को एक समृद्ध और सशक्त राष्ट्र बनाएगा। इसीलिए आवश्यक है कि युवा इस योजना को समझें, किसी के बहकावे में आकर राष्ट्रीय संपत्ति को क्षति न पहुचाएं। वे हिंसा का मार्ग छोड़कर समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करें, इसी में हम सब का हित निहित है।
इस योजना से सेना की संचालन क्षमता में वृद्धि होगी। एक युवा, जोकि कम घबराहट के साथ लड़ाई के मैदान में उतरने की दृष्टि से अधिक योग्य होता है, से लैस होने की वजह से यह उम्मीद की जाती है कि इन कर्मियों की जोखिम लेने की क्षमता अधिक होगी। प्रौद्योगिकी के समावेश और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार के साथ, सशस्त्र बल यह सुनिश्चित करेंगे कि इस योजना के तहत शामिल किए गए कर्मियों के पास वही कौशल हो, जो कि संचालनात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है। चूंकि सशस्त्र बलों में प्रशिक्षण संबंधी मानक स्पष्ट रूप से परिभाषित होते हैं और उच्चतम अधिकारियों द्वारा इसकी निगरानी की जाती है, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अग्निवीर उच्चतम पेशेवर मानकों पर खरे उतरें।
बिहार सहित विभिन्न राज्यों में चल रहे आंदोलन में सियासत काफी तेज हो गई है। कई राजनीतिक दल युवाओं को उकसा रहे हैं। कुछ असामाजिक तत्वों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहों का बाजार गर्म कर दिया है। राजनीतिक दल युवाओं को गलत जानकारी देकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। लेकिन युवाओं को यह समझने की आवश्यकता है कि वे किसी के लिए टूल न बनें बल्कि इस योजना का ठीक से अध्ययन करें और इसके बारे में अपने विवेक से फैसला लें।
डॉ. अनिल कुमार निगम
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। )