राष्ट्रपति चुनाव नजदीक है। इस स्थिति में देश के सर्वोच्च पद के लिए लॉबिंग और पॉलिटिक्स तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी मुस्लिम,दलित, आदिवासी समीकरण पर काम कर रही है । इस कारण देश का अगला राष्ट्रपति इसी समुदाय से हो सकता है ।
2023 में मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,राजस्थान सहित नौ राज्यों में चुनाव होने हैं । इसे ध्यान में रखकर भाजपा राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार की घोषणा कर सकती है । बीजेपी के सूत्रों के अनुसार , राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के के लिए दक्षिण और उत्तर भारत से नेता चुने जाएंगे।
इनके नामों पर जोरदार चर्चा
देश में अभी तक कोई आदिवासी राष्ट्रपति नहीं बना है। ऐसे में संभावना है कि भाजपा किसी आदिवासी को राष्ट्रपति पद के लिए आगे करे। ऐसे में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्म का नाम चल रहा है । दलित समाज से कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ,तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन के नामों की भी चर्चा जारी है।
इन मुस्लिम नामों पर भी चर्चा गरम
पैगंबर मोहम्मद विवाद के बाद मुस्लिम समुदाय की चर्चा के बाद केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के नामों की भी चर्चा जोरों पर है । सूत्रों के अनुसार मुख्तार अब्बास नकवी को उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है । सिख समुदाय से कैप्टन अमरिंदर सिंह और उत्तराखंड के राज्यपाल का नाम भी इस सर्वोच्च पद के लिए चर्चा में है।
विपक्ष के समर्थन प्राप्त करने की रणनीति
राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को विपक्ष और एनडीए में शामिल पार्टियों का समर्थन हासिल करने की जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने इस पद के महत्व को देखते हुए राष्ट्रपति के चुनावों के लिए मैनेजमेंट की टीम का गठन किया है । इसके समन्वयक गजेन्द्र सिंह शेखावत को बनाया गया है, जबकि सह संयोजक महाराष्ट्र के विनोद तावड़े और सीटी रवि को बनाया गया है । इसके अलावा मैनेजमेंट टीम में 11 सदस्य भी बनाए गए हैं । 20 जून को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड़्डा ने इस टीम के साथ राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति पर गहन चर्चा की है ।