शिवसेना के दो गुटों में जारी तनातनी सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई है। इसमें एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है कि, शिवसेना की ओर से लड़नेवाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की टीम ने इस बार लड़ने से मना कर दिया था। जिसके बाद शिवसेना को बड़ी मेहनत करनी पड़ी।
एकनाथ शिंदे के नेतृत्ववाले शिवसेना विधायकों के गुट की सबसे बड़ी शिकायत पक्षप्रमुख द्वारा की जा रही उपेक्षा है। यह इस स्तर तक पहुंच गया कि, एक साथ लगभग 40 विधायक शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के साथ चले गए। उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली शिवसेना के विरुद्ध एकनाथ शिंदे गुट सर्वोच्च न्यायालय में गया है, जिसकी सुनवाई शुरू हो गई है। उद्धव ठाकरे को विधान सभा में अपना अस्तित्व बचाने के लिए चल रही लड़ाई में फिर पुराने दिनों के वह याद आए, जिनकी सेवा लेकर वह 2019 में भाजपा के विरुद्ध लड़ चुकी थी। यह वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की टीम थी। परंतु, सूत्रों से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार कपिल सिब्बल की टीम ने शिवसेना को इस बार सीधे मना कर दिया था।
ये भी पढ़ें – महाविकास आघाड़ी में नया खेल, एकनाथ के मंत्री विभाग से हुए अनाथ
सिब्बल से भी बेवफाई
24 और 25 नवंबर, 2019 को शिवसेना विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में था। इसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को तगड़ा झटका मिला था। इसकी पैरवी शिवसेना की ओर से कपिल सिब्बल की टीम ने की थी। जिस पर इस विजय का पूरा दारोमदार था। जीत का परिणाम महाविकास आघाड़ी सरकार के रूप में हुआ, लेकिन कपिल सिब्बल टीम के हाथ शिवसेना से उपेक्षा आई और सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि, शिवसेना ने कपिल सिब्बल को पूरी फीस तक नहीं दी थी। यही कारण था कि कपिल सिब्बल ने ढाई वर्ष बाद जून 2022 में शिवसेना पर आए संकट के समय लड़ने से ही इन्कार कर दिया।