भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे गुट के दांव से चित शिवसेना महाराष्ट्र की नई सरकार को एक और पेंच में फंसाने की चाल चली थी। उसने शिंदे सरकार के बहुमत साबित करने की तिथि आगे बढ़ाने की मांग की थी। इसके लिए उसने सर्वोच्च न्यायायलय जाने का निर्णय लिया था, लेकिन न्यायालय ने इस बारे में याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है। उसने कहा है कि मामले की सुनवाई 11 जुलाई को ही होगी।
मिली जानकारी के अनुसार शिवसेना के चीफ ह्वीप सुनील प्रभु सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर शिंदे सरकार के विश्वास मत प्राप्त करने की तिथि आगे बढ़ाने की मांग की थी। फिलहाल राज्यपाल ने एकनाथ शिंदे सरकार को 2 जुलाई को बहुमत साबित करने का आदेश दिया है। लेकिन अब शिवसेना के इस रूख से मामला पेंचिदा हो सकता था। हालांकि अब खबर है कि विधानसभा का विशेष अधिवेशन की तिथि बढ़ाकर 3 और 4 जुलाई कर दी गई है।
बता दें कि शिंदे गुट के शिवसेना के 16 विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने का मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इस मामले में इन विधायकों को सर्वोच्च न्यायालय से 11 जुलाई तक राहत मिली हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस तारीख तक उन पर किसी भी कार्रवाई कर रोक लगा रखी है। इस कारण 2 या 3 जुलाई को विश्वास मत प्राप्त करते समय वे मतदान में शामिल होंगे और इससे शिंदे सरकार के लिए सदन में बहुमत साबित करना आसान हो जाएगा।
शिवसेना का दांव
शिवसेना का मानना था कि अगर विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवल के अयोग्य ठहराए जाने के नोटिस को सर्वोच्च न्यायालय सही मानता है तो उन 16 विधायकों के साथ ही शिंदे सरकार के सामने भी बड़ी मुश्किल पैदा हो जाएगी। उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी और वे विश्वास मत प्रस्ताव में शामिल नहीं हो पाएंगे। इसके साथ ही उनकी सदस्यता भी रद्द हो जाएगी। लेकिन फिलहाल न्यायालय ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में उपाध्यक्ष के विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्रवाई पर जिस तरह की पिछली सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी, उसे देखते हुए लगता नहीं है कि शिवसेना को इस मामले में कोई आग भी राहत मिलेगी।
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