लंबे समय तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रह चुके चिकित्सक व राजनेता डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय की जयंति के उपलक्ष में एक जुलाई को हर साल पूरे देश में चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। आजादी के महानायकों में शामिल रहे डॉक्टर रॉय आधुनिक बंगाल के निर्माता माने जाते हैं। आजादी के बाद आज तक पश्चिम बंगाल के कोने कोने में विकास के जो भी काम हो रहे हैं उसका सपना और स्वरूप डॉक्टर बिधन चंद्र रॉय ने हीं बनाया था। बिधान बाबू मुख्यमंत्री तथा एक सफल नेता होने के साथ-साथ एक के सिद्धहस्त चिकित्सक भी थे। एक चिकित्सक के तौर पर उनकी कर्तव्यय परायणता के कई किस्से मशहूर हैं।
यह भी पढ़ें–शिवसेना को सर्वोच्च झटका, तय तिथि को ही होगी मामले की की सुनवाई
डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय के कार्यकाल में बंगाल पुलिस में काम कर चुके वशिष्ठ नारायण सिंह ने उनसे जुड़ा एक संस्मरण साझा किया। उन्होंने बताया कि एक बार मैं ट्रैफिक ड्यूटी कर रहा था। मेरे साथ एक और ट्रैफिक गार्ड ड्यूटी पर तैनात थे। उसी समय मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय का काफिला गुजर रहा था। सारे पुलिसकर्मी सावधान की मुद्रा में थे तभी अचानक डॉ बिधान चंद्र रॉय की गाड़ी उनके पास आकर रुक गई। उनके साथ काम करने वाले ट्रेफिक गार्ड को बिधान चंद्र ने अपने पास बुलाया और कहा कि तुम्हें ड्यूटी के दौरान सिर दर्द और सांस लेने में तकलीफ होती होगी। उनकी बात सुन कर ट्रैफिक पुलिसकर्मी चकित र ह गया। उसने कहा- जी सर इसी तरह की तकलीफ होती है। इसके बाद डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय ने उन्हें अगले दिन चेंबर आने को कहा। मुख्यमंत्री का यह व्यवहार सबके लिये अप्रत्याशित था। दूसरे दिन ट्रैफिक पुलिसकर्मी डॉ बिधान चंद्र रॉय के चेंबर में गया और उन्होंने उसे दवा दी। एक महीने से भी कम दवा खाने के बाद उसकी सारी बीमारी ठीक हो गई थी। ऐसा करिश्माई व्यक्तित्व था डॉ बिधान चंद्र राय का। महात्मा गांधी के कहने पर वह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने थे और आधुनिक बंगाल के विकास की नींव उन्होंने ही रखी थी।
यह भी पढ़ें-शिवसेना को सर्वोच्च झटका, तय तिथि को ही होगी मामले की की सुनवाई
पांच शहरों की स्थापना का श्रेय, भारत रत्न से सम्मानित
– कई संस्थानों तथा राज्य के पांच प्रमुख शहरों , दुर्गापुर, कल्याणी, विधाननगर, अशोकनगर और हाबरा की स्थापना का श्रेय भी उन्हें जाता है। वह इतिहास में गिने चुने लोगों में हैं, जिन्हें भारत में एक साथ एफआरसीएस और एमआरसीपी की डिग्री हासिल थी।
-वर्ष 1961 में चार फरवरी को उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया। राय के दादा प्राणकाली राय बहरमपुर कलेक्टरेट में कर्मचारी थे। उनके पिता प्रकाश चंद्र राय का जन्म 1847 में बहरमपुर में हुआ था। उनकी माता अघोरकामिनी देवी बहरमपुर के जमींदार विपिन चंद्र बसु की बेटी थीं।
-बिधान चंद्र का जन्म 1882 में एक जुलाई को पटना के बांकीपुर में हुआ, जहां उनके पिता एक्साइज इंस्पेक्टर थे। राय ने पटना कॉलेजियट स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की. प्रेसिडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से इंटर, तथा पटना कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। गणित में ऑनर्स की पढ़ाई करने वाले बिधान चंद्र राय वर्ष 1901 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में पढ़ने पहुंचे।
-उन्होंने मेडिसिन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई इंग्लैंड के सेंट बार्थोलोम्यूज हॉस्पिटल में की। इंग्लैंड से वह 1911 में स्वदेश लौटे। कई मेडिकल कॉलेजों में उन्होंने अध्यापन भी किया ।
-आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी ने डॉ राय का नाम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रस्तावित किया। हालांकि, डॉ राय अपने पेशे को छोड़ना नहीं चाहते थे। फिर भी डॉ राय ने मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया। 23 जनवरी 1948 में वह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने।
चुनाव में सुरेंद्रनाथ बनर्जी को दी थी मात
डॉ राय वर्ष 1925 में राजनीति में आये। वे बंगाल लेजिस्लेटिव काउंसिल के लिए बैरकपुर क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे और सुरेंद्रनाथ बनर्जी को पराजित किया। वर्ष 1928 में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में चुना गया। विवादों से दूर रहने वाले विधान बाबू को बंगाल के लोग आज भी किसी मसीहा से कमतर नहीं आंकते।