पश्चिम बंगाल में राजनीति प्रतिदिन नए करवट ले रही है। तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के द्वंद में अब राज्यपाल भी लपेटे में आ गए हैं। ममता बनर्जी के नेताओं ने राष्ट्रपति से राज्यपाल को हटाने की मांग की है। इस संबंध में पार्टी के नेताओं ने एक ज्ञापन सौंपा है।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बीजेपी के बीच राजनीतिक विवाद चरम पर है। इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की गाड़ी पर पथराव की घटना ने गरमी बढ़ाई ही थी। राज्यपाल जगदीप धनखड़ द्वारा राज्य सरकार पर सुरक्षा में कोताही बरतने का आरोप इसमें घी का काम किया। इसके बाद विश्व भारती विश्वविद्यालय के शतक पूर्ति समारोह में मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति और सरकार की तरफ से की जा रही टिप्पणियों ने स्थिति को गंभीर बना दिया। इसके कुछ दिन बीतने के बाद अब टीएमसी ने राज्यपाल के विरुद्ध ही हमला खोल दिया है।
ये भी पढ़ें – विश्वबंधु के पत्र में सोनिया को राय!
Five members of the AITC Parliamentary Party have submitted the memorandum to the President, seeking the removal of West Bengal Governor Jagdeep Dhankhar.
"He is sitting tight and refuses to sign a number of Bills passed by the West Bengal Legislative Assembly," it reads. pic.twitter.com/7vTaPlnD7b
— ANI (@ANI) December 30, 2020
ये भी पढ़ें – फिर तीन को टपकाया!
संविधान की रक्षा में नाकाम
टीएमसी अब राज्यपाल के विरुद्ध इस आरोप को लेकर उतरी है कि राज्यपाल संविधान की रक्षा करने में नाकाम रहे हैं। इस संबंध में एक ज्ञापन भी तैयार किया गया है। जिसे टीएमसी के सांसद सुखेंदु शेखर रे ने लिखा है और सुदीप बंदोपाध्याय, डेरेक ओ ब्रायन, कल्याण बनर्जी, काकोली घोष दस्तीदार ने इसका समर्थन किया है। इस ज्ञापन में लिखा गया है कि,
राज्यपाल संविधान की रक्षा, बचाने और संरक्षित रखने में लगातार नाकाम रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्दिष्ट कानूनों का उल्लंघन करते रहे हैं। उनके पास कई विधेयक हस्ताक्षर के लिए पड़े हैं जिन्हें पश्चिम बंगाल विधान सभा से मंजूरी मिल गई है लेकिन राज्यपाल ने हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया है।
लंबे समय से चल रहा शीत युद्ध
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और टीएमसी के बीच विवादों की सूची लंबी है। जिसमें से कुछ का वर्णन यहां हम करे रहे हैं।
- 24 दिसंबर को राज्पाल ने विश्व भारती विश्वविद्यालय के शतक पूर्ति कार्यक्रम को लेकर उठे विवाद पर टीएमसी पर टिप्पणी की थी।
- 11 दिसंबर को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर पथराव पर राज्यपाल ने राज्य सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर टिप्पणी की थी।
- माओवादियों की गतिविधियों पर भी ट्वीट करके अपनी नाराजगी जता चुके हैं।
- भाजपा सचिवालय अभियान के बीच हंगामे को लेकर भी राज्य सरकार को लिया था निशाने पर
- सिख सुरक्षा गार्ड की पगड़ी उतारने के मामले में भी की थी टिप्पणी
- भाजपा सांसद मनीष शुक्ला की हत्या के मामले में कानून पर रखी थी उंगली