4 जुलाईः विश्व में भारत का नाम ऊंचा करने वाले स्वामी विवेकानंद का ऐसा है इतिहास

स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में कहा था-मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं।

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देश-दुनिया के इतिहास में 04 जुलाई का जिक्र बड़े बदलाव के रूप में है। विज्ञान के लिए 04 जुलाई एक खास दिन है। वर्ष 2012 में इसी दिन वैज्ञानिकों ने हिग्स बोसॉन कण का पता लगाने में मिली सफलता का ऐलान किया था। इसके अलावा देश-विदेश में भारत का परचम लहराने वाले स्वामी विवेकानंद का महाप्रयाण वर्ष 1902 में 04 जुलाई को हुआ था। उन्होंने भारतीय दर्शन और चिंतन की समृद्ध परंपरा को विश्व स्तर पर रेखांकित करके उसे सम्मान दिलाया।

12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में जन्मे नरेंद्र नाथ आगे चलकर स्वामी विवेकानंद के नाम से मशहूर हुए। स्वामी विवेकानंद की जब भी बात होती है तो अमेरिका के शिकागो की धर्म संसद में 11 सितंबर, 1893 में दिए गए उनके भाषण की चर्चा जरूर होती है। स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण की शुरुआत हिंदी में ‘अमेरिका के भाइयों और बहनों’ के साथ की। भारत के इतिहास में यह दिन गर्व और सम्मान की घटना के तौर पर दर्ज है।

यही वह भाषण है, जिसने पूरी दुनिया के सामने भारत को एक मजबूत छवि के साथ पेश किया। इस भाषण की खास बातें यह हैं- अमेरिकी भाइयों और बहनों, आपने जिस स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है उससे मेरा दिल भर आया है। मैं दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा और सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं। सभी जातियों और संप्रदायों के लाखों-करोड़ों हिंदुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मैं इस मंच पर बोलने वाले कुछ वक्ताओं का भी धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने यह जाहिर किया कि दुनिया में सहिष्णुता का विचार पूरब के देशों से फैला है।

मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं। मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं, जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी। मुझे गर्व है कि हमने अपने दिल में इजरायल की वो पवित्र यादें संजो रखी हैं, जिनमें उनके धर्मस्थलों को रोमन हमलावरों ने तहस-नहस कर दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और लगातार अब भी उनकी मदद कर रहा है।

मैं इस मौके पर वह श्लोक सुनाना चाहता हूं, जो मैंने बचपन से याद किया और जिसे रोज करोड़ों लोग दोहराते हैं। जिस तरह अलग-अलग जगहों से निकली नदियां, अलग-अलग रास्तों से होकर आखिरकार समुद्र में मिल जाती हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा से अलग-अलग रास्ते चुनता है। ये रास्ते देखने में भले ही अलग-अलग लगते हैं, लेकिन ये सब ईश्वर तक ही जाते हैं। मौजूदा सम्मेलन जो कि आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है, वह अपने आप में गीता में कहे गए इस उपदेश इसका प्रमाण है- ‘जो भी मुझ तक आता है, चाहे कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं। लोग अलग-अलग रास्ते चुनते हैं, परेशानियां झेलते हैं, लेकिन आखिर में मुझ तक पहुंचते हैं।’

सांप्रदायिकता, कट्टरता और इसके भयानक वंशजों के धार्मिक हठ ने लंबे समय से इस खूबसूरत धरती को जकड़ रखा है। उन्होंने इस धरती को हिंसा से भर दिया है और कितनी ही बार यह धरती खून से लाल हो चुकी है। न जाने कितनी सभ्याताएं तबाह हुईं और कितने देश मिटा दिए गए। यदि ये खौफनाक राक्षस नहीं होते तो मानव समाज कहीं ज्यादा बेहतर होता, जितना कि अभी है। लेकिन उनका वक्त अब पूरा हो चुका है। मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन का बिगुल सभी तरह की कट्टरता, हठधर्मिता और दुखों का विनाश करने वाला होगा। चाहे वह तलवार से हो या फिर कलम से।’

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महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1760ः मीर जाफर का पुत्र मिरान पटना में गंडक नदी के किनारे मारा गया।

1776ः अमेरिकी कांग्रेस ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता से घोषणा की।

1810ः फ्रांसिसी सेनाओं ने एम्सटर्डम पर कब्जा किया।

1827ः न्यूयार्क से दासत्व खत्म करने की घोषणा।

1881ः सिलिगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच छोटी पटरी पर ‘टॉय ट्रेन’ चलाई गई।

1901ः विलियम हावर्ड टाफ्ट फिलीपींस के अमेरिकी गवर्नर बने।

1910ः अफ्रीकी-अमेरिकी मुक्केबाज जैक जॉनसन ने हेवीवेट मुक्केबाजी मैच में व्हाइट बॉक्सर जिम जेफरीज को हराया।

1911ः उत्तर पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में 11 दिन में 380 लोगों की हत्या।

1913ः राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने महान पुनर्मिलन में अमेरिकी गृह युद्ध के दिग्गजों को संबोधित किया।

1927ः लॉकहीड वेगा ने अपनी पहली उड़ान भरी।

1943ः द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कुर्स्क की लड़ाई को दुनिया की सबसे बड़ी टैंक लड़ाई माना जाता है। इसकी शुरुआत प्रोखोरोव्का गांव से हुई थी।

1950ः शीत युद्ध के दौरान रेडियो फ्री यूरोप का पहला प्रसारण।

1951ः विलियम शॉकली ने जंक्शन ट्रांजिस्टर के आविष्कार की घोषणा की।

1966ः अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन ने संयुक्त राज्य कानून में सूचना अधिनियम की स्वतंत्रता पर हस्ताक्षर किए।

1982ः तीन ईरानी राजनयिकों और एक पत्रकार का फालेंगे सेना ने लेबनान में अपहरण किया।

1997ः अमेरिकी यान ‘सोजर्नर’ मंगल ग्रह पर पहुंचा।

2004ः फ्रीडम टॉवर की आधारशिला न्यूयॉर्क शहर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर साइट पर रखी गई।

2009ः 11 सितंबर के हमलों के बाद सुरक्षा चिंताओं के कारण आठ साल बंद होने के बाद स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का मुकुट जनता के सामने फिर आया।

2012 – सीईआरएन में बड़े हैड्रॉन कोलाइडर में हिग्स बोसन के साथ संगत कणों की खोज की घोषणा।

जन्म

1897ः प्रसिद्ध दक्षिण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू।

1898 – भारत के पूर्व कार्यवाहक प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नन्दा।

1916ः हिन्दी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री नसीम बानो।

1943ः भाषा विज्ञान, कोश निर्माण, पाठालोचन, अनुवाद और सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान करने वाले भारतीय विमलेश कांति वर्मा।

1945ः हिन्दी फिल्मों के अभिनेता सुशील कुमार।

निधन

1902ः साहित्य, दर्शन और इतिहास के प्रकाण्ड विद्वान स्वामी विवेकानन्द।

1963ः भारत के राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ के अभिकल्पक पिंगलि वेंकय्या।

1982ः बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार भरत व्यास।

दिवस

स्वामी विवेकानंद स्मृति दिवस

अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस

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