मुंबई। पर्वतारोहण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जानेवाला शिखर सावरकर पुरस्कार ऑनलाइन संपन्न हुआ। इस साल प्रथम शिखर सावरकर जीवन गौरव पुरस्कार से कर्नल (रि) प्रेमचंद को सम्मानित किया गया। इस वर्ष तीन श्रेणियों में पुरस्कार वितरण किया गया है।
स्वातंत्र्य वीर सावकर राष्ट्रीय स्मारक द्वारा प्रथम शिखर सावरकर पुरस्कारों का वितरण किया गया। कोरोना काल के चलते इन पुरस्कारों का वितरण ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिये किया गया। इन पुरस्कारों का यह प्रथम वर्ष है। इस साल का पहला शिखर सावरकर जीवन गौरव पुरस्कार कर्नल (रि) प्रेमचंद को दिया गया। इसके इलावा शिखर सावरकर युवा साहस पुरस्कार से महाराष्ट्र के पर्वतारोही सूरज मालुसरे और शिखर सावरकर दुर्ग संवर्धन पुरस्कार से लोनावाला की संस्था दुर्ग मित्र, लोनावाला को सम्मानित किया गया। तीनों श्रेणियों में पुरस्कृत हुई प्रतिभाएं अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करनेवाली हैं।
कर्नल (रि) प्रेमचंद हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति से हैं। वे भारतीय सेना में अधिकारी रहने के साथ-साथ एक विश्वस्तरीय पर्वतारोही रहे हैं। वे पर्वतारोहण से जुड़े खेलों में भारतीय दल के प्रमुख भी रहे हैं। जबकि सूरज मालुसरे युवा पर्वतारोही हैं। सह्याद्री पर्वत श्रंखलाओं में मानव की पहुंच से दूर रहे क्षेत्रों में वे चढ़ाई कर चुके हैं।
सूरज मालुसरे के नाम रॉक क्लाइंबिंग और आर्टिफीशियल वॉल क्लाइंबिंग में कई पुरस्कार हैं। जबकि दुर्ग मित्र, लोनावाला एक गैर सरकारी संस्था है जिसके नाम राज्य में घाटियों में घटी दुर्घटनाओं, मालिन दुर्घटना, कोल्हापुर बाढ़ आदि में सफलतापूर्वक सहायता और बचाव कार्य करने का श्रेय दर्ज है।
इसके अलावा दुर्ग मित्र खेल में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही है। इसके कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। इस पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि के रूप मे पूर्व न्यायाधीश मृदुला भाटकर, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक व राज्य साआईडी प्रमुख अतुलचंद्र कुलकर्णी और पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रवीण दीक्षित थे।
पुरस्कारों में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे ने कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक द्वारा शिक्षा, क्रीडा व आत्मरक्षा के लिए कई अभ्यासवर्ग संचालित किये जाते हैं। जिसमें क्रीडा के क्षेत्र में पर्वतारोहण भी एक हिस्सा है। अगस्त 2015 में सावरकर स्मारक का एक दल हिमाचल प्रदेश में पर्वतारोहण के लिए गया था। इस दल ने वहां अपने पर्वतारोहण अभियान के दौरान एक बेनाम शिखर को शिखर सावरकर का नाम भी दिया था। इस अभियान को इस माह पांच वर्ष पूर्ण हो गए हैं। इसी उपलक्ष्य में पर्वतारोहण के क्षेत्र में यह पुरस्कार वितरण शुरू किया गया। सावरकर स्मारक के अध्यक्ष डॉ.अरुण जोशी ने सभी का अभिनंदन व अतिथियों का धन्यवाद किया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि हमारा उद्देश्य है कि पुरस्कारों के माध्यम से पर्वतारोहण क्षेत्र की प्रतिभाओं को सम्मान दिया जाए जिससे इस क्षेत्र के सभी खिलाड़ियों का मनोबल ऊंचा किया जा सके। उन्होंने इन पुरस्कारों को हर साल दिये जाने की घोषणा की।