मोहम्मद जुबैर, उमर खालिद, शरजील इमाम, राणा अयूब और आफरीन फातिमा ऐसे कई नाम हैं, जिन पर भड़काऊ बयान देने, हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने या फिर देश विरोधी बयान देने के आरोप हैं। विवादों में रहने वाले ये मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ता समाज, संविधान और देश के लोकतंत्र को कथित रूप से चुनौती देते रहते हैं। हालांकि इन पर कानूनी शिकंजा भी कसता रहा है। इनमें से कुछ तो अभी भी जेल की हवा खा रहे हैं। इनमें इमाम शरजील और उमर खालिद शामिल हैं।
आइए जानते हैं इनसे जुड़े क्या हैं विवाद और क्या हुई है कार्रवाई
मोहम्मद जुबैर
सर्वोच्च न्यायालय ने फैक्ट चेक से जुड़ी वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश के सीतापुर में दर्ज एफआईआर के मामले में पांच दिन की अंतरिम जमानत दी है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया। न्यायालय ने कहा कि अंतरिम जमानत के बाद मोहम्मद जुबैर दिल्ली में सरेंडर करें।
जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है। जुबैर को 27 जून को पूछताछ के लिए बुलाया गया। पूछताछ के बाद 27 जून की शाम उसे गिरफ्तार कर लिया गया। रात को पटियाला हाउस कोर्ट के ड्यूटी मजिस्ट्रेट के बुराड़ी स्थित आवास पर पेश किया गया। जहां उसे एक दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया था।
किस पोस्ट पर हुई गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस की एफआईआर में लिखा गया है कि मोहम्मद जुबैर की पोस्ट काफी उकसाने और लोगों की भावनाओं को आहत करने वाली है। जुबैर ने 2018 में प्रसिद्ध फिल्ममेकर ऋषिकेश मुखर्जी की 1983 में रिलीज एक फिल्म ‘किसी से न कहना’ की एक क्लिप शेयर की थी। इसमें एक तस्वीर है, जिस पर एक होटल के बोर्ड का नाम हनुमान होटल लिखा गया है। उसके पेंट से ऐसा लगता है कि इस होटल का पहले का नाम हनीमून होटल था, जिसके स्थान पर हनुमान होटल लिख दिया गया हो। जुबैर ने इस क्लिप के कैप्शन लिखा था, ‘2014 से पहले हनीमून होटल, 2014 के बाद हनुमान होटल।’
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि हुई खराब
बता दें कि मोहम्मद जुबैर ने निलंबित भाजपा नेता नुपूर शर्मा के वीडियो को भी एडिट कर पोस्ट की थी। उसके बाद देश-दुनिया में बड़ा बवाल हो गया था। भारत में कट्टरपंथियों ने नुपूर शर्मा के खिलाफ काफी बवाल काटा और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की। उस मामले से भारत की अंतररराष्ट्रीय स्तर पर छवि धूमिल हुई और भारत सरकार को माफी तक मांगनी पड़ी।
शरजील इमाम
फिलहाल शरजील इमाम जेल में है। हालांकि देशद्रोह के मामले में जमानत के लिए उसने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और कई तारीखें पड़ने के बावजूद फैसला नहीं आ सका है।
चार्जशीट में आरोप
चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया, जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी। इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा। बता दें कि शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था।
इस तरह चली सुनवाई
-30 मई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय ने शरजील इमाम को ट्रायल कोर्ट जाकर जमानत याचिका दायर करने की अनुमति दी थी। याचिका में राजद्रोह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को आधार बनाया गया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह के मामलों में केस दर्ज नहीं करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्र सरकार जब तक राजद्रोह के मामले पर दोबारा विचार करेगी तब तक इस मामले में कोई नई एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राजद्रोह के मामले में जो आरोपित हैं, वे अदालतों में याचिका दायर कर जमानत की मांग कर सकते हैं।
-11 अप्रैल को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने शरजील की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। 24 जनवरी को कोर्ट ने इस मामले में शरजील इमाम के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। कड़कड़डूममा कोर्ट ने राजद्रोह समेत दूसरी धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था।
आफरीन फातिमा
नुपूर शर्मा के कथित पैगंबर पर विवादित बयान को लेकर 10 जून को नमाज के बाद अन्य स्थानों के साथ ही प्रयागराज में भी हिंसक प्रदर्शन किया गया। योगी राज में प्रयागराज हिंसा के मास्टमाइंड जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप के घर पर 12 जून को बुलडोजर फिरा दिया गया। उसके साथ ही उसकी बड़ी बेटी आफरीन फातिमा का घर भी ध्वस्त कर दिया गया।
विवादों से पुराना रिश्ता
जावेद पंप की बेटी आफरीन को लेकर पैदा हुआ विवाद कोई नया नहीं है। इससे पहले भी उसका विवादों से गहरा नाता रहा है। जेएनयू की पूर्व छात्रा रही आफरीन फातिमा पिछले कई वर्षों से जेएनयू और उसके बाहर होने वाली देशविरोधी गतिविधियों में शामिल रही हैं। शायद यही कारण है कि उसके समर्थन में जेनयू में डफली बजाकर जमकर नारे लगाए गए।
कौन है आफरीन?
वैसे,आफरीन के बारे में कहा जाता है कि वह शाहीनबाग षड्यंत्र के मास्टरमाइंड शरजील इमाम की फ्रेंड है। उसने जेएनयू के भाषा विज्ञान केंद्र से मास्टर डिग्री ली है। 2021 में जेएनयू छोड़कर वह चली गई। उसने प्रयागराज के सेंट मेरी कान्वेंट स्कूल से हाईस्कूल और इंटर तक पढ़ाई की है। उसके बाद उसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्याल में दाखिला लिया। यहां से उसने लिंग्विस्टिक्स में बीए ऑनर्स और एमए किया। वह एएमयू में महिला कॉलेज की अध्यक्ष रही और छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रही। एमयूए के बाद उसने जेनयू में एडमिशन लिया।
आफरीन का रहा है इन विवादों से रिश्ता
2019 में दिल्ली में सीएए और एनआरसी के खिलाफ चले आंदोलन में वह काफी सक्रिय रही। उसने अफजल गुरु को निर्दोष बताया था। अफजल को 2001 के संसद हमले का दोषी ठहराया गया था और फांसी दे गई थी।
25 जनवरी, 2020 को ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में फातिमा ने भीड़ को भड़काने का प्रयास किया था। सीएए और एनआरसी के विरोध में उसने कहा था कि न तो सरकार और न ही सर्वोच्च न्यायालय मुस्लिमों के विश्वास के लायक है।
-फातिमा हिजाब विवाद के समय भी काफी सक्रिय रही। उसने जेएनयू के दौरान इस मामले को लेकर दक्षिणा भारत के कई शहरों का दौरा किया था। इस दौरान उसने कई प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था और लोगों को भड़काने की पूरी कोशिश की थी।
-22 जनवरी 2022 को प्रयागराज में जब मुस्लिम महिलाओं ने धरना दिया था, तो वह भी उसमे शामिल रही थी। इस दौरान उसने अफजल गुरु को फांसी दिए जाने को लेकर सरकार और सर्वोच्च न्यायालय पर सवाल उठाए थे।
उमर खालिद
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 जुलाई को दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद की राजद्रोह के मामले में दायर जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 27 जुलाई को सुनवाई करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट को सूचित किया गया कि उमर खालिद के वकील त्रिदिप पेस कोरोना संक्रमित हैं। इसके बाद कोर्ट ने 27 जुलाई को सुनवाई करने का आदेश दिया। 30 मई को सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा था कि हिंसा की साजिश रचने के आरोपी उमर खालिद का फरवरी 2020 को अमरावती में दिया गया, भाषण दुर्भावनापूर्ण था लेकिन वो आतंकी कार्रवाई नहीं था।
वकील ने पेश की दलील
– उमर खालिद के वकील त्रिदिप पेस ने सुनवाई के दौरान अमरावती के भाषण को उद्धृत किया था। इस पर कोर्ट ने कहा था कि उमर का अमरावती में दिया गया बयान मानहानि वाला हो सकता है, उस पर दूसरे आरोप बन सकते हैं लेकिन वो आतंकी गतिविधि नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा था कि वो अभियोजन पक्ष को अपने पक्ष में दलील रखने का पूरा मौका देगा। हाई कोर्ट ने पहले भी कहा था कि उमर खालिद के अमरावती में दिए गए भाषण को जायज नहीं ठहराया जा सकता है और उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
यह है मामला
न्यायालय में सुनवाई के दौरान जस्टिस रजनीश भटनागर ने पेस से प्रधानमंत्री के ‘हिंदुस्तान में सब चंगा नहीं, हिंदुस्तान में सब नंगा सी’ संबंधी खालिद के भाषण पर पूछा। तब पेस ने कहा कि ये एक रूपक है जिसका मतलब है कि सच्चाई कुछ और है जो छिपाया जा रहा है। तब जस्टिस रजनीश भटनागर ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए कुछ दूसरे शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता था। तब पेस ने कहा कि भाषण 17 फरवरी, 2020 का था, जिसमें उमर ने अपने मत प्रकट किया। इसका मतलब ये नहीं है कि ये एक अपराध है। इसे आतंक से कैसे जोड़ा जा सकता है।
13 सितंबर, 2020 को किया गया गिरफ्तार
24 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद समेत दूसरे आरोपितों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई थी। स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि इस मामले के आरोपित ताहिर हुसैन ने कालेधन को सफेद किया। उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई। 755 एफआईआर दर्ज हुईं। उमर को 13 सितंबर, 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया। इसके बाद 17 सितंबर को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की चार्जशीट पर संज्ञान लिया। यह चार्जशीट स्पेशल सेल ने 16 सितंबर को दाखिल की थी।
अयूब राणा
मार्च 2022 में तथाकथित पत्रकार राणा अयूब को अरेस्ट करने की मांग उठने लगी थी। अकाउंट यूजर्स ट्विटर पर उसे गिरफ्तार करने की मांग उठ रही थी। उस पर कोरोना काल में लोगों की मदद के लिए चंदे से जमा किए गए करोड़ों रुपए हड़प जाने का आरोप लगा था।
प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। ईडी का आरोप था कि उसने समाज कल्याण के नाम पर जुटाई गई करोड़ों की राशि का इस्तेमाल अपने और अपने परिवार के लिए किया। इस मामले में उसके पास से 1.77 करोड़ की रकम जब्त की गई थी।
ऐसे जुटाए 2.69 करोड़ रुपए
एफआईआर के अनुसार राणा अयूब ने ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर कुल 2 करोड़ 70 लाख रुपए जमा किए थे। ये रकम उसकी बहन और पिता के बैंक खातों में ट्रांसफर की गई थी। इसमें से 72 लाख रुपए उसके व्यक्तिगत खाते में ट्रांसफर किए गए थे। उसकी बहन इफ्फत शेख के अकाउंट में 37 लाख 15 हजार और उसके पिता मोहम्मद अयूब वक्फ के खाते में 1 करोड़ 61 लाख की रकम ट्रांसफर की गई थी। बाद में ये सभी राशि राणा अयूब के खाता में ट्रांसफर कर दी गई थी। लेकिन अयूब ने केवल 31 लाख 16 हजार रुपए का ब्यौरा दिया था। जांच के बाद पता चला कि फंड में से मात्र 17 लाख 66 हजार रुपए खर्च किए गए।
चैरिटी के पैसे का किया गया निजी इस्तेमाल
एजेंसी ने बताया है कि राणा अयूब ने राहत कार्यों में पैसे खर्च करने के प्रमाण स्वरुप फर्जी बिल बनवाकर जमा किए थे। निजी यात्रा पर किए गए खर्च को राहत कार्य के लिए बताया गया था। एजेंसी का आरोप है कि राणा अयूब ने पूरी प्लानिंग और सोची-समझी रणनीति के तहत चैरिटी के नाम पर फंड जुटाया और उसकी अधिकांश रकम को निजी तौर पर इस्तेमाल किया।
50 लाख एफडी
यही नहीं, एजेंसी का दावा है कि फंड्स के 50 लाख रुपए की एफडी कराई गई। उसे राहत कार्य के लिए नहीं इस्तेमाल किया गया। इसके साथ ही उसने पीएम केयर्स और सीएम रीलिफ फंड में कुल 74 लाख 50 हजार रुपए जमा किए।
-अभियान 1-कोरोना पीड़ितों के लिए राणा अयूब ने 82,55,899 रुपए का फंड जमा किया था। इसमें से उसने लगभग 80 लाख रुपए निकाले थे।
-अभियान 2 ( झुग्गीवासियों और किसानों के मदद के लिएः 71 लाख से ज्यादा की रकम जमा की गई। इसमें से 69 लाख रकम निकाली गई। इसके अलावा 75,600 अमरीकी डालर जमा किए गए तथा 73,332 अमरीकी डालर निकाले गए।
अभियान 3( असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य)-42 लाख रुपए जमा किए गए, 40 लाक 53 हजार रुपए निकाले गए।
-इसके अलावा 37 हजार अमरीकी डालर जुटाए गए। इसमें से 36 हजार से अधिक की रकम निकाली गई। इस अभियान में राशि राणा अयूब के पिता के बैंक अकाउंट में भी ट्रांसफर की गई।
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