गुरू पूर्णिमाः गंगा घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, यह है धार्मिक मान्यता

गुरू पूर्णिमा पर कानपुर नगर एवं ग्रमीण क्षेत्रों में पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करने के लिए सभी घाटों पर 13 जुलाई को भोर से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई थी।

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गुरू पूर्णिमा पर 13 जुलाई तड़के श्रद्धालुओं का तांता गंगा नदी के तटों पर लग गया। सरसैया घाट, ड्योढ़ी घाट, बिठूर घाट, खेरेश्वर समेत अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर दान-पुण्य किया। घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ को लेकर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए है।

गुरू पूर्णिमा पर कानपुर नगर एवं ग्रमीण क्षेत्रों में पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करने के लिए सभी घाटों पर 13 जुलाई को भोर से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई थी। भक्त अपने सगे सम्बन्धियों के साथ गंगा घाटों पर पहुंच रहें हैं। भक्त गंगा में स्नान करने के बाद सरसैया घाट पर स्थित खेरेश्वर महादेव का दर्शन कर रहें है।

यह है धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु कृपा से व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी जाग जाता है। प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है। इसी दिन चारों वेदों का ज्ञान देने वाले और सभी पुराणों की रचना करने वाले महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। वेद व्यास को हिंदू धर्म का पहला गुरु माना जाता है।

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सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम
श्रद्धालुओं एवं स्नानार्थियों की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किया है। इसके साथ ही स्नान घाटों पर किसी भी दुर्घटना से निपटने के लिए जल पुलिस एवं गोताखोर तैनात किए गयें है।

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