आर्थिक संकट से जुझ रहे श्रीलंका के लिए 14 जुलाई का दिन राजनीति के स्याह पन्नों में दर्ज होगा। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा, जब राष्ट्रपति दूसरे देश जाकर अपना इस्तीफा दिया हो। देश के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे सिंगापुर पहुंचने के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया।
सिंगापुर पहुंचने के बाद स्पीकर को ई-मेल पर अपना इस्तीफा भेजा है। बीते 9 जुलाई को राष्ट्रपति भवन से भागे राजपक्षे ने भारी विरोध प्रदर्शन के बीच 13 जुलाई को इस्तीफा देने की घोषणा की थी लेकिन हालात को देखते हुए वे इस्तीफा देने के बजाए देश छोड़कर मालदीव भाग गए।
मालदीव से सिंगापुर पहुंचे राजपक्षे
मालदीव में बढ़ते विरोध को देखते हुए गोटबाया को सिंगापुर जाना पड़ा है। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि करते हुए कहा है कि गोटबाया को निजी यात्रा पर देश में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि गोटबाया राजपक्षे की तरफ से शरण देने का कोई अनुरोध नहीं किया गया है। राजपक्षे 14 जुलाई की शाम मालदीव से सिंगापुर पहुंचे। उनका विमान सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट पर लैंड करते हुए दिखाई दिया।
नहीं दी गई है शरण
राजपक्षे जैसे ही सिंगापुर पहुंचे, वहां की सरकार ने बयान जारी कर कहा कि उसने गोटबाया को किसी तरह की राजनीतिक संरक्षण नहीं दिया गया है। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजपक्षे एक प्राइवेट विजिट यानी निजी यात्रा पर सिंगापुर आए हैं और इसी आधार पर उन्हें प्रवेश की अनुमति दी गई है। मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने शरण नहीं मांगी है। बयान में कहा गया कि राजपक्षे ने न ही शरण मांगी है और न उन्हें शरण दी गई है।
राष्ट्रपति भवन पर सेना का कब्जा
श्रीलंका में सेना ने राष्ट्रपति भवन को अपने कब्जे में ले लिया है और प्रदर्शनकारी पीछे हट गए हैं। कुछ पत्रकारों और सेना के जवानों के अलावा इस भवन में कोई नहीं है। बीते शनिवार को हजारों प्रदर्शनकारियों ने देश की सबसे प्रमुख इमारत को अपने कब्जे में ले लिया था। देश में शांति व्यवस्था कायम करने और हालात को काबू में करने के लिए सेना को कानून के तहत बल प्रयोग का अधिकार दे दिया गया है।
प्रदर्शनकारियों को चेतावनी
श्रीलंकाई सेना ने एक बयान में प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी है कि वे सभी प्रकार की हिंसा से दूर रहें या नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें क्योंकि मानव जीवन को खतरे, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की स्थिति में सशस्त्र बलों के सदस्यों को कानूनी रूप से बल का प्रयोग करने का अधिकार है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़ने के बाद 13 जुलाई को प्रधानमंत्री कार्यालय और संसद के मुख्य मार्ग पर प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प के बाद कम से कम 84 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।