नामांतरण और विकास परियोजनाओं के लिए महाराष्ट्र सरकार का बड़ा निर्णय, इसलिए कैबिनेट बैठक में फिर देनी पड़ी मंजूरी  

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महाराष्ट्र की युति सरकार की कैबिनेट बैठक हुई। इस बैठक में आधिकारिक रूप से दो जिलों के नामांतरण और नवी मुंबई स्थित हवाई अड्डे को नाम देने के संबंध में आधिकारिक निर्णय लिया गया। इसके साथ ही सरकार ने एमएमआरडीए के लिए भी अच्छे दिन लौटाए हैं।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कैबिनेट बैठक के बाद निर्णयों की जानकारी साझा की। इसमें चार मुख्य निर्णयों की जानकारी दी गई।

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  1. औरंगाबाद जिला का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी
  2. उस्मानाबाद जिले के नाम को धाराशीव करने की प्रस्ताव को मंजूरी
  3. नवी मुंबई में निर्माणाधीन हवाई अड्डे का नामकरण स्थानीय नेता दि.बी पाटील के नाम करने के प्रस्ताव को मंजूरी
  4. एमएमआरडीए को 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने के लिए मंजूरी, इसमें राज्य सरकार ने प्राथमिक रूप से 12 हजार करोड़ रुपए के लिए गारंटी दे दी है।

दोबारा मंजूरी क्यों?
महाविकास आघाड़ी सरकार के सत्ताकाल में राज्यपाल ने सरकार को विश्वास मत प्राप्त करने का पत्र दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट बैठक बुलाकर औरंगाबाद, उस्मानाबाद का नामांतरण और नवी मुंबई हवाई अड्डे के नामकरण का निर्णय लिया था। इसे मंजूरी देते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसकी सार्वजिनक घोषणा की थी।

शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 39 और निर्दलीय विधायकों समेत 50 विधायकों के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के गुट से हटने के बाद सरकार अल्पमत में थी। ऐसी स्थिति में राज्यपाल द्वारा विश्वास मत प्राप्ति का पत्र देने के बाद कोई कैबिनेट बैठक नहीं बुलाई जा सकती है। ऐसे काल में कैबिनेट बैठक बुलाकर लिए गए निर्णय असंवैधानिक माने जाते हैं। इस स्थिति में भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना गुट की युति सरकार के गठन के बाद उन्होंने पूर्व सरकार के असंवैधानिक निर्णयों को फिर मंजूरी दी है।

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