भारत और चीन के बीच 16वें दौर की सैन्य वार्ता 17 जुलाई को करीब साढ़े बारह घंटे तक चली। इस दौरान भारत ने फिर से चीन पर पूर्वी लद्दाख के विवादित क्षेत्रों से पूरी तरह सेना पीछे हटाने के दबाव बनाया। हालांकि इस बैठक के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक साझा बयान नहीं आया है लेकिन अधिकारियों ने दोनों देशों के बीच नई सहमति न बनने पर वार्ता को बेनतीजा करार दिया है।
भारत और चीन के बीच 15वें दौर की कोर कमांडर स्तरीय वार्ता 11 मार्च को हुई थी और इसमें विवाद सुलझाने को लेकर कोई सफलता नहीं हासिल हुई थी। करीब चार महीने बाद दोनों देशों के सैन्य कमांडर 17 जुलाई को सुबह 9.30 बजे फिर आमने-सामने बैठे। वार्ता में भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14वें कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेन गुप्ता और चीन का नेतृत्व दक्षिण शिंजियांग सैन्य जिले के प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया।
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सैनिकों को पीछे हटाने के लिए चीन पर बनाया दबाव
लगभग साढ़े 12 घंटे चली मैराथन बैठक रात करीब 10 बजे समाप्त हुई। भारत ने सीमा पर अप्रैल, 2020 में सैन्य झड़प आरंभ होने से पहले की स्थिति बहाल करने की मांग की। इस वार्ता से पहले हॉट स्प्रिंग क्षेत्र के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 पर सैन्य तैनाती घटाने की दिशा में प्रगति होने की संभावना जताई गई थी। चार माह बाद हुई नए दौर की वार्ता में टकराव वाले शेष सभी स्थानों से जल्द से जल्द सैनिकों को पीछे हटाने के लिए चीन पर दबाव बनाया गया है।
आमने-सामने हैं दोनों देश की सेनाएं
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के हॉट स्प्रिंग इलाके में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 पर दोनों देशों की एक-एक प्लाटून पिछले दो साल से आमने-सामने है। पीपी-15 के अलावा भारत की तरफ से डेप्सांग प्लेन और डेमचोक जैसे विवादित इलाकों के समाधान का मामला भी उठाया गया है। इस वार्ता से ठीक एक दिन पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शिनजियांग का दौरा करके अपने सैनिकों के साथ मुलाकात की थी। लद्दाख क्षेत्र में भारत-चीन सीमा की देखरेख कर रही चीन की सेना की बटालियन से जिनपिंग की मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।