सर्वोच्च न्यायालय 20 जुलाई, बुधवार को महाराष्ट्र शिवसेना से संबंधित पांच मामलों की सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी।
एक याचिका महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दायर की है, जो उन्होंने मुख्यमंत्री की शपथ लेने से पहले राज्य के डिप्टी स्पीकर की ओर से 14 बागी विधायकों को अयोग्य करार देने के मामले पर फैसला करने से रोकने के लिए है। उस याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 जून को सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को डिप्टी स्पीकर के नोटिस का जवाब देने के लिए 12 जुलाई तक समय बढ़ा दिया था।
दूसरी याचिका शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने दाखिल की है, जिसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के फ्लोर टेस्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। 29 जून को सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस आदेश के तुरंत बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था और एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
इन याचिकाओं पर होगी सुनवाई
सुनील प्रभु की ओर से एक और याचिका दायर की गई है, जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा के नव नियुक्त स्पीकर की ओर से एकनाथ शिंदे गुट के व्हिप को मान्यता देने को चुनौती दी गई है। एक याचिका उद्धव ठाकरे गुट के शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई ने दायर की है। सुभाष देसाई की याचिका में महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के आदेश को चुनौती दी गई है। इसके साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा की 3 और 4 जुलाई को हुई कार्यवाही में नए स्पीकर के चुनाव और शिंदे सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव की कार्यवाही को अवैध बताया गया है।
11 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में क्या हुआ?
11 जुलाई को उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा था कि 12 जुलाई को अयोग्यता का मामला विधानसभा में सुना जाना है। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र के मामले पर 11 जुलाई को सुनवाई होनी थी, लेकिन वो लिस्ट नहीं की गई थी। जब तक सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करता, तब तक स्पीकर को निर्णय लेने से रोका जाए। तब कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि स्पीकर को सूचित किया जाए कि वह अभी फैसला न लें।