भारत के पूर्व पीएम की अमेरिका ने करवाई थी हत्या? ऐसे हुआ खुलासा, उठी जांच की मांग

सीआईए वैश्विक स्तर पर ऑपरेशन्स करती है, जिसमें उनका लक्ष्य अमेरिकी हित और वैश्विक स्तर पर नंबर एक के देश के रूप में विख्यात उनके देश को सतत उसी स्तर पर बनाए रखना है। इसके लिए यह गुप्तचर एजेंसी किसी भी सीमा को लांघ सकती है।

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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु को लेकर अब बड़ा षड्यंत्र सामने आया है। जिसका खुलासा अमेरिकी खुफिया एजेंसी सेंट्रल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के ही तत्कालीन मुख्य अधिकारी ने किया है। जिससे अब पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार ने इस पूरे प्रकरण की पुनर्जांच की मांग की है।

पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु रूस के ताश्कंद में संदेहास्पद परिस्थतियों हो गई थी। उस समय भी इसे लेकर शंकाएं व्यक्त की जा रही थीं। परंतु, तत्कालीन सरकारों ने इस पर कुछ खास नहीं किया। अब यह प्रकरण अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी सेंट्रल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (सीआईए) के पूर्व निदेशक के बयान के बाद फिर चर्चा में आ गया है। इसे देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के परिवार ने पूरे प्रकरण की जांच की मांग की है।

प्रकरण ऐसे आया सामने
अमेरिकी इंटेलिजेंसी एजेंसी CIA ने भारतीय वैज्ञानिक होमी भाभा और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की हत्या करवाई थी। अमेरिकी लेखक ग्रेगरी डगलस ने अपनी किताब ‘कन्वर्सेशन विद द क्रो’ में यह दावा किया है। उनकी इस किताब में रॉबर्ट क्रोली ने इस बात को स्वीकार किया है। रॉबर्ट क्रोली उस दौर में सीआईए के डायरेक्ट्रेट ऑफ ऑपरेशन्स की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। रॉबर्ट के बयान को रिकॉर्ड करके उनकी बातचीत को किताब में उतारा गया है। रॉबर्ट के अनुसार, जिस वक्त होमी भाभा की मौत हुई उस वक्त वो विएना जा रहे थे।

रॉबर्ट ने बताया कि, जिस विमान में वो जा रहे थे वो एयर इंडिया का कॉमर्शियल विमान था। रॉबर्ट ने कहा, मुझे उसकी कोई चिंता नहीं थी। यदि मेरे अपने होते तो मैं परेशान होता। हम इसे वियना के ऊपर उड़ा सकते थे, लेकिन हमने तय किया कि ऊंचे पहाड़ पर धमाके के बाद टुकड़ों के नीचे आने के लिए वो बेहतर जगह थी।

हमने एक ऐसी बीमारी भी विकसित की थी जिसमें एशिया में चावल की खेती को पूरी तरह से नष्ट किया जा सके। और बीमारी की मदद से एशिया के नक्शे से चावल मिटा दिया जाए क्योंकि यही वहां के लोगों का प्रमुख आहार है।

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे और कांग्रेस के नेता अनिल शास्त्री ने कहा कि राजग सरकार को उनके पिता की मृत्यु से संबंधित सभी दस्तावेजों को सबके सामने पेश करना चाहिए। ताकि जिन परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हुई उसको लेकर सभी तरह की शंकाओं को हमेशा के लिये खत्म किया जा सके।

अनिल शास्त्री ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि शास्त्रीजी की मृत्यु से संबंधित सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाए।’

“मैं सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री से, विकास पर ध्यान देने का अनुरोध करता हूं। मामले की जांच होनी चाहिए, ”कांग्रेस नेता ने कहा। उन्होंने कहा, “उनकी मृत्यु के बारे में बहुत सारे संदेह हैं और उन संदेहों को दूर करने की जरूरत है,” उन्होंने कहा, “सरकार को उनकी मृत्यु से संबंधित दस्तावेजों को भी सार्वजनिक करना चाहिए।”

इस बीच दिवंगत पूर्व पीएम की पोती मंदिरा शास्त्री ने भी मामले की जांच की मांग की है।

उन्होंने ट्वीट किया, “रॉबर्ट क्रॉली के इकबालिया बयान ने केवल यह स्पष्ट किया है कि हमारी सरकार को इस मामले को देखना चाहिए और मेरे दादा की मौत की जांच करनी चाहिए।”

कौन थे होमी भाभा?

डॉ. होमी जहांगीर भाभा भारतीय परमाणु कार्यक्रम के खास रहे हैं। वो ऐसे इंसान हैं जिन्होंने भारत में अटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम की कल्पना की और इसे साकार करने के लिए हर महत्वपूर्ण कदम उठाए। भारत परमाणु शक्ति से पूरी तरह सम्पन्न हो सके, इसका रास्ता भी खोला।

होमी भाभा की शुरुआती पढ़ाई मुंबई के कैथेड्रल स्कूल और जॉन केनन स्कूल में हुई। उन्हें शुरूआत से ही भौतिक विज्ञान और गणित में खास रुचि थी। रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से बीएससी करने के बाद 1927 में हायर स्टडी के लिए इंग्लैंड चले गए थे। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की।

भाभा ने जर्मनी में कॉस्मिक किरणों का अध्ययन किया और उन पर कई प्रयोग भी किए थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1939 में भारत लौटे और बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से जुड़ गए। उन्हें शास्त्रीय संगीत, मूर्तिकला, चित्रकला और नृत्य के क्षेत्र में भी काफी गहरी रुची थी। मशहूर वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी. रमन उन्हें भारत का लियोनार्डो डी विंची भी कहते करते थे।

साल 1957 में भारत ने मुंबई के करीब ट्रांबे में पहला परमाणु अनुसंधान केंद्र स्थापित किया था। 1967 में इसका नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र कर दिया गया था। 24 जनवरी, 1966 को एक विमान दुर्घटना में इनकी मौत हो गई थी।

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