पूर्व नेपाली प्रधानमंत्री और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिद्वंद्वी गुट के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पा कमल दहल प्रचंड अपनी बीमार पत्नी सीता दहल के इलाज के लिए 4 जनवरी को मुंबई आ रहे हैं। यह जानकारी नेपाल दूतावास ने दी है। हालांकि इस दौरान उनके किसी राजनातिक गतिविधियों की जानकारी नहीं दी गई है।
Former Nepali Prime Minister & Chairman of rival faction of Nepal Communist Party, Pushpa Kamal Dahal will fly to Mumbai tomorrow for treatment of his ailing wife Sita Dahal: Indian Embassy in Nepal Sources
— ANI (@ANI) January 3, 2021
नेपाल में मचे राजनैतिक घमासान के बीच प्रचंड नाम से मशहूर नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के एक गुट के नेता का मुंबई आगमन भारत के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। वे चाहते तो अपनी पत्नी के इलाज के लिए चीन भी जा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा न कर इसके लिए भारत को प्राथमिकता देकर एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आज भी नेपालियों की प्राथमिकता चीन नहीं भारत ही है।
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भारत की चुप्पी चुभने लगी है
दरअस्ल नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता पुष्प कमल दहल को अब भारत की चुप्पी चुभने लगी है। उन्होंने नेपाल में संवैधानिक संकट पर विश्व के शीर्ष देशों से हस्तक्षेप करने की मांग की है। इस प्रक्रिया में पड़ोसी देश भारत का इस प्रकरण में शांत रहना पुष्प कमल को दहला रहा है।
भारत और नेपाल का रोटी-बेटी का संबंध
भारत और नेपाल का रोटी-बेटी का संबंध है। ये कहावतें थीं तो उसके अनुरूप रिश्ते भी निभते थे। लेकिन कम्यूनिस्ट शासनकाल में इसमें बड़ा परिवर्तन आया है। नेपाल के नए नेताओं ने नए कद्रदान तलाशे, बेटियां बदलीं और रोटी भी बदल गई। 2020 के नेपाल के लिए ये किवदंती नहीं थी बल्कि सच्चाई थी। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से चीन की हमजोली और वहां की राजदूत से मैत्री में उनके देश ने काफी कुछ खो दिया। इससे सत्ता पक्ष में ही फूट पड़ गई। अंततोगत्वा ओली ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के पास संसद को भंग करने का प्रस्ताव भेज दिया।
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क्या कहते हैं दहल?
नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के दूसरे धड़े के नेता पुष्पकमल दहल प्रचंड ने एक साक्षात्कार में नेपाल के संवैधानिक संकट को लेकर कई प्रश्न खड़े किये हैं। इसमें अपने ही घर में हारे प्रचंड अब नेपाल की स्थिति पर भारत की शांति पर आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं। दहल ने विश्व में लोकतंत्र के रक्षक माने जानेवाले अमेरिका, यूरोप को लेकर भी यह प्रश्न किया है। दहल के अनुसार संवैधानित संकट पर भारत को दखल देनी चाहिए थी। उनके प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संविधान की धज्जियां उड़ाई हैं। दहल ने विश्व में लोकतंत्र स्थापन के लिए कार्य करनेवाले देशों से नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के विभाजन को रोकने में मदद की मांग की है।
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भारत का पक्ष
नेपाल सरकार में हो रहे विवादों को लेकर भारत ने अपने आपको शांत रखा। ओली द्वारा 20 दिसंबर को सरकार बर्खास्त करके फिर से चुनाव कराने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। इस मुद्दे पर भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि नेपाल की राजनीतिक घटनाएं वहां का आंतरिक मुद्दा है।
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