मध्य प्रदेश पत्थरबाजों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पत्थरबाजी सामान्य अपराध नहीं है। पत्थरबाज समाज के दुश्मन हैं और इन पर कंट्रोल करना जरुरी है। इन्हें सामान्य अपराध बताकर छोड़ने से इनका मनोबल बढ़ता है और दूसरे लोग भी ऐसा करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसलिए ऐसे मामलों में सजा के लिए कड़े कानून की आवश्यकता है। सरकार इस पर अमल कर रही है। ऐसे लोगों को सजा के साथ पीड़ित व्यक्ति की क्षतिपूर्ति भी करनी होगी।
नीलाम कर दी जाएगी संपत्ति
सीएम चौहान ने कहा कि अगर वह क्षतिपूर्ति नहीं करता है, तो उसकी संपत्ति सीज कर उसकी भरपाई की जाएगी। फिलहाल अधिकारियों को इस बारे मे कानून बनाने के निर्देश दिए गए हैं। सीएम का कहना है कि पत्थरबाजी से किसी की जान भी जा सकती है। इसके साथ ही पत्थरबाजी से भय और आतंक का माहौल बन जाता है। भगदड़ मच जाती है और अव्यवस्था फैल जाती है। चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश में सिर्फ कानून का राज होगा।
कानून की खास बातें
- पत्थरबाजी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना.आगजनी को अंजाम देना, व्यक्तिगत नुकसान पहुंचाना होगा आक्षम्य अपराध
- कड़ी सजा के साथ पीड़ित व्यक्ति के नुकसान की करनी होगी क्षततिपूर्ति
- सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को कड़ी सजा
कांग्रेस ने साधा निशाना
पत्थरबाजों के खिलाफ कानून बनाने के मामले में कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्यवयक नरेंद्र सलूजा ने ट्विट कर कहा है कि पत्थर फेंकने वालों पर जरुर कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन बगैर अनुमति जुलूस निकालकर आपत्तिजनक और भड़काऊ नारे लगाने वालों और किसी धार्मिक स्थल पर जबर्दस्ती घुसने वालों, किसी भी धर्म के खिलाफ भड़काऊ नारे लगानेवालों के खिलाफ भी कानून बनाकर समान रुप से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
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इंदौर में मेडिकल टीम पर हुई थी पत्थरबाजी
बता दें कि इंदौर के टाटपट्टी इलाके में अप्रैल 2020 में मेडिकल टीम पर पत्थरबाजी की घटना घटी थी। इस घटना में डॉक्टर्स और कलेक्टर जान बचाकर भागने को मजबूर हो गए थे। घटना के बाद एफआईआर दर्ज की गई थी। पत्थरबाजी में शामिल चार लोगों पर एनएसए के तहत कार्रवाई की गई थी। ये सभी अल्पसंख्यक समाज के थे।
जमू-कश्मीर में पत्थरबाजी में 87.13 फीसदी की कमी
जम्मू-कश्मीर में पथराव की घटनाओं में पिछले वर्ष की अपेक्षा 2020 में 87.13 फीसदी की कमी है। पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के मुताबिक राज्य में 2019 में पथरावकी कुल 1999 घटनाएं हुई थीं, इनमें 1193 घटनाएं केद्र द्वारा पांच अगस्त को 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने केबाद घटी। 2020 मे पथराव की कुल 255 घटनाएं घटीं। यह 2019 की तुलान में 87.31 फीसदी कम है। इससे पहले 2018 में 1412 और 2017 में 1458 घटनाए घटी थीं। 2016 से तुलना करें तो 2020 मे 90 प्रतिशत कम हो गई हैं। बता दें कि यहां पत्थरबाजों पर काबू पाने के लिए सख्थ कानून बनाए गए हैं।