महाराष्ट्र में पिछले 23 दिनों में 89 किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें बीड में 13 , यवतमाल में 12, परभणी 6, जलगांव 6, जालना 5, बुलदाना 5, उस्मानाबाद 5, अमरावती 4, वाशिम 4, अकोला 3, नांदेड़ 2 , भंडारा-चंद्रपुर 2 और औरंगाबाद में 22 किसानों ने जान दी। इतने बड़े पैमाने पर किसानों के आत्महत्या करने से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की चुनौती बढ़ गई है।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद एकनाथ शिंदे ने ऐलान किया था कि राज्य में अब कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा। सरकार के गठन के 24 दिन बीत जाने के बाद भी राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो सका है। किसानों की चिंता करने वाला कृषि मंत्रालय बिना मंत्री के सूना है। आत्महत्या करने वाले किसानों में सबसे अधिक औरंगाबाद, बीड और यवतमाल के हैं।
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कैबिनेट की तीन बैठक
मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अब तक कैबिनेट की तीन बैठकें कर चुके हैं। इन बैठकों में शहरों का नाम बदलने, सरपंच के सीधे चुनाव, आरे कारशेड, एमएमआरडीए को कर्ज उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया गया है। राज्य सरकार ने आत्महत्या प्रभावित जिलों में किसान चेतना अभियान, वसंतराव नाइक कृषि स्वावलंबी मिशन की स्थापना की है। लेकिन ये दोनों योजनाएं मंत्रालय में अटकी हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि एक जनवरी से जून तक के छह महीनों में मराठवाड़ा में 306 और विदर्भ में 368 किसानों ने आत्महत्या की है। उस समय एकनाथ शिंदे राज्य के नगर विकास मंत्री और शिंदे गुट के दादा भूसे कृषि मंत्री थे।
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