कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन कब खत्म होगा, इस बारे में किसी भी तरह का दावा नहीं किया जा सकता। अब तक सात दौर की सरकार के साथ किसान संगठनों की हो चुकी बैठक बेनतीजा ही रही है। विपक्ष और आंदोलन कर रहे किसानों के संगठनों का कृषि कानून को लेकर जो आरोप हैं, उनमें से एक महत्वपूर्ण यह भी है कि उन्हें डर है कि उनकी जमीन पर से उका अधिकार छीन जाएगा और उन पर अडानी-अंबानी जैसे पूंजीपतियों का कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर अधिकार हो जाएगा। इस बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सफाई दी है।
रिलायंस की सफाई
रिलायंस ने कृषि कानूनों के नाम पर किए जा रहे दावो पर अपना स्पष्टीकरण जारी किया है। अपनी सफाई में उसने किसानों को भरोसा दिलाया है कि रिलायंस रिटेल लिमिटेड, रिलांयस जियो इन्फोकॉम लिमिटिड और अन्य किसी सहायक कंपनी ने पहले कभी भी कॉरपोरेट या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग नहीं की है और भविष्य में भी कंपनी की ऐसी कोई योजना नहीं है।
इसके साथ ही उसने कहा है कि रिलायंस या उनकी किसी अन्य सहायक कंपनी ने पंजाब या हरियाणा या देश के किसी भी भाग में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से कृषि जमीन नहीं खरीदी है और आगे भी कंपनी की ऐसी कोई योजना नहीं है।
ये भी पढ़ें – अब यहां पढ़ो-लिखो तो मिलेंगे पैसे!
कांग्रेस ने लगाया अंबानी-अडानी को फायदा पहुंचाने का आरोप
बता दें कि कृषि कानूनों को लागू किए जाने के बाद से ही विपक्ष और विशेषकर कांग्रेस ने एनडीए सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो खुल्लेआम इस बारे में बयान देते हुए मोदी सरकार पर अंबानी और अडानी जैसे लोगों को फायदा उठाने के लिए निर्णय लेने का आरोप लगाया था।
‘अदानी-अंबानी कृषि क़ानून’ रद्द करने होंगे।
और कुछ भी मंज़ूर नहीं!The ‘Adani-Ambani Farm Laws’ have to be revoked.
Nothing less is acceptable.— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 7, 2020
किसान बन गए मोहरा
रहाुल गांधी के बयान के बाद से किसानो को यह डर सताने लगा कि उनकी जमीन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत ले ली जाएगी और उनका उस पर से अधिकार समाप्त हो जाएगा। केंद्र सरकार के कई बार इस बारे में सफाई देने के बावजूद विपक्ष और कांग्रेस के बहकावे में आकर किसानो के कुछ संगठन आंदोलन करने पर अड़े हुए हैं। उधर सरकार ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह कृषि कानूनं को किसी भी हालत में रद्द नहीं करेगी। एक तरह से किसान विपक्ष के मोहरा बन गए हैं और उनके कहने में आकर आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं हैं।
ये भी पढ़ेंः अब इसमें भी मतदान जैसी प्रक्रिया!
पंजाब में पहुंचाया 1600 मोबाइल टॉबरों को नुकसान
हाल ही में आंदोलकारी किसानों ने पंजाब में करीब 16,00 मोबाइल टॉबरों को नुकसान पहुंचाया । उनमें से करीब 900 जियो के हैं। हालांकि इस मामले में कुछ किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। लेकिन पंजाब की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कथित ढिले रवैये से लगता नहीं है कि दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी।
आरआईएल ने दायर की याचिका
इस बीच रिलांयस इंडस्ट्रीज लिमिटेड( आरआईएल) ने अपनी सब्सिडीयरी कंपनी रिलांयस जियो इन्फोटेक लिमिटेड के माध्यम से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में उपद्रवियों पर सरकारी प्राधीकरणों द्वारा तत्काल हस्तक्षेप करने के लिए याचिका दायर की है। दोनों राज्यों में इन्होंने जरुरी कम्यूनिकेशन इन्फ्रासट्रक्चर, सेल्स और सर्विेसेज आउटलेट्स पर तोड़फोड़ की है। रिलायंस का आरोप है कि किसान आंदोलन की आड़ में प्रतिद्वंद्वी कंपनियां अपनी चाल चल रही हैं। लाख टके का सवाल है कि इस आंदोलन से लाभ किसका है। सरकार और किसानों को तो हर तरफ से घाटा ही है, हां कांग्रेस को जरुर इससे राजनैतिक लाभ हो सकते हैं।
Join Our WhatsApp CommunityReliance Industries Limited, through its subsidiary Reliance Jio Infocomm Limited, in a petition mentioned to be filed in Punjab & Haryana High Court today, has sought urgent intervention of Govt authorities to bring a complete stop to illegal acts of vandalism by miscreants: RIL
— ANI (@ANI) January 4, 2021