मंकी पॉक्स से एलर्ट हुई योगी सरकार, इन अस्पतालों में होगा इलाज

मंकीपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की है। ६५ देशों में इस बीमारी ने अपने पैर पसार लिये हैं।

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योगी सरकार मंकी पॉक्स को लेकर अलर्ट मोड पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद राज्य और जिले स्तर पर तैयारियों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। इसी के तहत मंकी पॉक्स रोगियों के इलाज के लिए कोविड अस्पतालों में 10 बेड आरक्षित किए गए हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर रोगियों का आईसोलेशन और उपचार किया जा सके।

पहचान और जांच के लिए प्रशीक्षण
राज्य सरकार की ओर से मंकी पॉक्स के सर्विलांस, प्रबंधन से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर हर जिले की सर्विलांस इकाई को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अलावा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी अधिकारियों को जानकारी दी गई है। जिला स्तरीय अस्पतालों और सीएमओ के अधीन कार्यरत चिकित्सकों में से मास्टर ट्रेनर्स का ऑनलाईन प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है। इन मास्टर ट्रेनर्स की ओर से मंडलीय, जनपदीय, ब्लॉक स्तरीय चिकित्सालयों, नगरीय स्वास्थ्य इकाईयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों और पराचिकित्सा कर्मियों का भी प्रशिक्षण कराया जाएगा। इसके अलावा सर्विलांस के लिए कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर्स और फ्रंटलाईन वर्कर्स (एएनएम और आशा) को भी ब्लॉक स्तरीय चिकित्सालयों और नगरीय स्वास्थ्य इकाईयों के प्रशिक्षित चिकित्साधिकारियों की ओर से कराया जाएगा। मंकी पॉक्स से बचाव और संभावित रोगियों के ससमय उपचार के लिए जारी आदेशों का कड़ाई के साथ अनुपालन करने के निर्देश दिए गए हैं।

केजीएमयू में होगी नमूनों की जांच
संभावित रोगियों के नमूनों की जांच राज्य स्तर पर केजीएमयू की प्रयोगशाला में होगी। क्लिनिकल नमूनों के संग्रह और परिवहन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए केजीएमयू के दो चिकित्सकों का नाम, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी भी जारी की गई है।

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जरूरी दिशा निर्देश
रोगी के संपर्क में आने वाली किसी भी सामग्री जैसे बिस्तर आदि के संपर्क में आने से बचें। रोगियों को दूसरों से अलग आईसोलेट रखें। रोगियों की देखभाल करते समय पीपीई किट का उपयोग करें। किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के विषय में तत्काल जिला, राज्य और केंद्रीय सर्विलांस इकाई को सूचित करें। रोगी को घर पर भी आइसोलेशन में रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर अस्पताल में भी भर्ती कराया जा सकता है। दूसरों के साथ संपर्क के जोखिम को कम करने के लिए घावों को यथासंभव अधिकतम सीमा तक ढंका जाना चाहिए। सभी घावों के ठीक होने पर ही आइसोलेशन की अवधि समाप्त होगी।

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