शिवसेना सांसद संजय राऊत को प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय में प्रस्तुत किया था। उन्हें न्यायालय ने तीन दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया है। राऊत को रविवार रात गिरफ्तार किया गया था।
मुंबई के गोरेगांव स्थित पत्रा चाल के पुनर्विकास के प्रकरण में भ्रष्टाचार और मनी लॉडरिंग प्रकरण की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है। इसमें राऊत को ईडी ने हाल के दिनों में दो बार पूछताछ के लिए प्रस्तुत होने की नोटिस भेजी थी, परंतु संसद सत्र का हवाला देते हुए, वे प्रस्तुत नहीं हुए। इसके बाद रविवार को सबेरे ७ बजे प्रवर्तन निदेशालय संजय राऊत के भांडुप स्थित निवास पर छापा मारा। वहां लगभग नौ घंटे पूछताछ और अन्य कार्रवाई चली, जिसके बाद सायं पांच बजे के लगभग संजय राऊत को ईडी के फोर्ट क्षेत्र में स्थित कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया। जहां रात साढ़े बारह बजे उनकी गिरफ्तारी का अरेस्ट मेमो जारी किया गया। इसके पहले दिल्ली ईडी के अतिरिक्त निदेशक सत्यव्रत कुमार मुंबई पहुंचे।
सोमवार को न्यायालय में ईडी और संजय राऊत के वकीलों के बीच हुए युक्तिवाद के बाद ४ तारीख तक ईडी हिरासत में भेजने का निर्णय न्यायालय ने दिया।
संजय राऊत को सोमवार सुबह ११ बजे के लगभग राज्य सरकार के सर जे.जे समूह अस्पताल में स्वास्थ्य जांच के लिए जाया गया था। वहां से उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। प्रवर्तन निदेशालय ने संजय राऊत की आठ दिन की हिरासत मांगी थी, जिसके समक्ष न्यायालय ने मात्र तीन दिन की हिरासत दी है। अब इन तीन दिनों में प्रवर्तन निदेशालय को पूछताछ पूरी करनी होगी।
यह है मामला, जिसमें नप गए संजय राउत
पत्राचाल गोरेगांव, मुंबई में स्थित है। यहां घोटाला तब शुरू हुआ, जब सरकार ने चाल में रहने वाले 672 किराएदारों को फ्लैट देने की योजना बनाई। इसके लिए महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने एचडीआईएल के गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन को ठेका दिया। गुरु आशीष कंपनी चाल में किराएदारों को 672 फ्लैट और एमएचडीए को 3000 फ्लैट देने वाली थी। यह घोटाला 1,034 करोड़ रुपये का है। 2010 में कंपनी के निदेशक प्रवीण राउत ने गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी में एचडीआईएल को 258 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी। उसके बाद 2011, 2012 और 2013 में भूखंड के कई हिस्सों को अन्य निजी डेवलपर्स को स्थानांतरित कर दिया।
क्या है पत्राचाल घोटाला?
प्रवीण राउत शिवसेना सांसद संजय राऊत के करीबी हैं। प्रवीण राउत पर राकेश वधावन के साथ मिलकर पत्राचाल पुनर्विकास परियोजना में घोटाला करने का संदेह है। इस मामले में प्रवीण राउत को गिरफ्तार कर रिहा कर दिया गया था। उसके बाद फिर 2 फरवरी 2022 को प्रवीण राउत को गिरफ्तार कर लिया गया। इस संबंध में की गई जांच में ईडी को शक है कि इस घोटाले के पैसे का इस्तेमाल अलीबाग में संपत्ति खरीदने के लिए किया गया। ईडी ने राउत को इस संबंध में पूछताछ के लिए तीन बार तलब किया था। लेकिन वे दो बार पूछताछ के लिए उपलब्ध नहीं हुए।