राजस्थान के करीब आधा दर्जन जिलों में लम्पी स्कीन रोग ने पशुओं को अपनी जद में ले लिया है। गोवंश में फैल रहे लम्पी रोग पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी से अपील की है कि ये रोग अत्यंत संक्रामक है। अपने पशुओं को इससे बचाने के लिए आवश्यक सावधानियों का पालन करें।
राज्य सरकार इसकी रोकथाम एवं बचाव के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। अपने पशुओं को इससे बचाने के लिए आवश्यक सावधानियों का पालन करें। पशुओं में इस रोग के लक्षण नजर आने पर नजदीकी पशु चिकित्सा संस्था में सम्पर्क करें। उन्होंने लिखा कि गौशाला संचालक, जनप्रतिनिधिगण एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से अपील करता हूं कि इस बीमारी के नियंत्रण एवं रोकथाम में राज्य सरकार को अपना सहयोग प्रदान करें।
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पशुओं में तेजी से फैल रहे लम्पी रोग
इससे पहले कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने पशुओं में तेजी से फैल रहे लम्पी रोग की तुलना कोरोना वायरस से की थी। मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा था कि जिन पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उन पशुओं को ही ये लम्पी रोग हो रहा है। इसका टीका तो फिलहाल नहीं बन पाया है लेकिन पशुओं को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए जाने की दवाईंयां दी जा रही हैं। गोवंश में फैल रहे लम्पी स्किन रोग के लक्षणों को समझने की जरूरत है। पशुओं में तेज बुखार, त्वचा में सूजन और मोटी-मोटी गांठ, आहार खाने में परेशानी, कमजोरी के साथ दूध उत्पादन में कमी आती है। ये इस बात की ओर इशारा करता है कि पशुओं में लम्पी स्कीन रोग की शिकायत है।
कृषि एवं पशुपालन विभाग की गाइड लाइन
कृषि एवं पशुपालन विभाग की ओर से जो गाइड लाइन लम्पी रोग के लिए जारी की गई है, उसके मुताबिक रोग के प्रारम्भिक लक्षण दिखाई देने पर रोगी पशु को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग कर दें। उपचार के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा संस्था से सम्पर्क करें। रोगी पशु की चारा-पानी और दाने की व्यवस्था अलग बर्तनों में करें। रोग ग्रस्त क्षेत्र में पशुओं की आवाजाही रोके। इसके साथ पशु आवास में नीम के पत्तों को जलाकर धुआं करें ताकि मक्खी- मच्छरों भगाया जा सके। पशु आवास की दीवारों में आ रही दरार या छेद में चूना भर दें। इसके अलावा कपूर की गोलियां भी रखी जा सकती हैं, इससे मक्खी-मच्छर दूर रहते हैं।